Wednesday, 22 April 2020 10:03
G.A Siddiqui
लखनऊ 22 अप्रैल 2020। रिहाई मंच ने कश्मीरी पत्रकारों और दिल्ली के छात्र नेताओं पर मुकदमे को सत्ता द्वारा उत्पीड़न की कार्रवाई बताया. मंच ने पत्रकार मसरत जहरा, छात्र नेताओं मीरान हैदर, सफूरा जरगर, उमर खालिद, दानिश और ताहिर हुसैन पर यूएपीए के तहत कार्रवाई को लोकतान्त्रिक आवाज़ों का दमन करार दिया है. पिछले दिनों सूरत के मानवाधिकार कार्यकर्त्ता अधिवक्ता बिलाल कागजी और उसके बाद कश्मीरी पत्रकार पीरजादा आशिक और गौहर जिलानी को जिस तरह से पुलिस उत्पीड़ित कर रही है वो बताता है की सरकार नहीं चाहती की उस पर कोई अधिवक्ता और पत्रकार सवाल उठाए. मंच ने कहा की इस महामारी के दौर में ये कार्रवाइयां साफ करती हैं की लॉक डाउन का गलत इस्तेमाल करके जेलों में ठूंसने के साजिश के तहत यह सब किया जा रहा. जहां माननीय सुप्रीम कोर्ट का आदेश है की जेलों को खाली किया जाए उस दौर में पिछले दिनों एएमयू छात्र नेता आमिर मिन्टोई की गिरफ़्तारी और आजमगढ़, अमरोहा में गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाइयां बताती हैं की सरकार इस दौर में भी दमन की राजनीति के तहत झूठे मामलों में छात्र नेताओं और पत्रकारों को फ़साने में व्यस्त है. जबकि आमिर और मीरान दोनों ही इस महामारी के दौर में जरुरतमंदों तक राशन पहुँचाने का काम कर रहे थे.
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा है कि पुलिस पूरी तरह से सरकार के इशारे पर कानून की धज्जियां उड़ा रही है. कानून के सामने बिना किसी भेदभाव के देश के समस्त नागरिक समान हैं. कानून के सामने समानता के सिद्धांत को ताक पर रखकर हिंदुत्ववादी संगठनों के कथित नेताओं के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई न करके कानून तोड़ने, साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने तथा विभिन्न वर्गों में विद्वेश फैलाने की खुली छूट मिली हुई है. हिंदुत्ववादी संगठनों के द्वारा स्वछंद होकर समाज में साम्प्रदायिक जहर घोलने का काम किया जा रहा है जिसमें सरकार के इशारे पर पुलिस भी ऐसे तत्वों का समर्थन करती है.
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि दिल्ली पुलिस की कार्रवाई में साफ दिख रहा है की वो उन तथ्यों को न सिर्फ नजरंदाज कर रही बल्कि वो खुलेआम हत्या की धमकी देने वाले नेताओं और गोली चलाने वालों को जिस तरह से बरी कर दिया वो साफ कर रहा कि बिना अदालती प्रक्रिया के ही उसने फैसला सुना दिया. छात्र नेताओं पर हिंसा का षड्यंत्र रचने का आरोप लगाने वाली पुलिस को दिल्ली की सड़कों पर खुलेआम हेट स्पीच देने वाले भाजपा नेता अनुराग ठाकुर और कपिल मिश्रा क्यों नहीं दिखते. पुलिस कार्रवाई में अलग-अलग मापदंड न अपनाया जाए और दोषियों का सम्मान न करके उनको दंडित कराने की कार्रवाई की जाए. यूएपीए में की गई कार्रवाई का मुख्य उद्देश्य सरकार की गलत नीतियों के विरुद्ध उठने वाली आवाजों को दबाना है.