Sunday, 09 August 2020 7:06
Abdullah Siddiqui
शैलेन्द्र पंडित
गोंड धुरिया समाज ने परम्पराओं को कायम रखने का लिया संकल्प
जल,जंगल,जमीन के संरक्षण पर दिया गया जोर
बांसी - सिद्धार्थनगर* । संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस क्षेत्र में सादगी पूर्वक माहौल में मनाया गया। विभिन्न स्थानों पर आयोजन कर प्रकृति की उपासना की गई। क्षेत्र के गोंड धुरिया समाज द्वारा आयोजन के उपरांत परम्पराओं को कायम रखने का संकल्प लिया गया। कोविड - 19 संक्रमण को लेकर शासन द्वारा जारी दिशा निर्देश में परस्पर दूरी का पालन इस दौरान किया गया।
रविवार को क्षेत्र के ग्राम साड़ी कला में आदिवासी विकास सेवा संस्थान के बैनर तले इस मौके पर आयोजन की शुरुवात प्रकृति (जल , जंगल, जमीन) की उपासना कर की गई। गोंड धुरिया समाज के लोगों द्वारा इस दौरान गोंडऊ नृत्य, हुरका जोरी का वादन , गोंडी लोक कलाओं की प्रस्तुति और उज्जैनी उपासना कर परम्पराओं को कायम रखने का संकल्प लिया गया।
इस मौके पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए अधिवक्ता उमाशंकर गोंड ने कहा कि गोंडवाना संस्कृति समस्त संस्कृतियों की जननी हैं।ऐसे में हमें अपने प्राचीन कला कौशल को जीवंत रखना होगा।उन्होंने लोगों से जल , जंगल , जमीन के संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता पर जोर दिए जाने की अपील करते हुए कहा कि सरकार से मांग हैं की आदिवासी दिवस पर पूरे देश में एक दिन का राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाए। उन्होंने उत्तर प्रदेश के 13 जनपदों में निवासरत आदिवासी समाज के समुचित विकास के लिए प्रभावी योजना तैयार कर सरकारी स्तर से उत्थान की मांग की।
जबकि अपने संबोधन में संतोष कुमार गोंड ने गोंडी भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने सहित जनगणना में गोंडी धर्म का कालम बनाएं जाने को लेकर विस्तार से चर्चा की।
इस अवसर पर संस्थान के गुरुचरण धुरिया, भवानी भीख गोंड, जगदम्बा धुरिया, गिरजेश गोंड, अखिलेश गोंड, फूलचंद धुरिया, पी एल धुरिया उर्फ मुन्ना धुरिया, पवन धुरिया, विजय धुरिया, महेश गोंड, नीरज धुरिया, मंजू धुरिया,सुषमा गोंड, सोनल धुरिया आदि की उपस्थिति प्रमुख रूप से रहीं।