Friday, 02 October 2020 12:10
G.A Siddiqui
अरसद खान
सिद्धार्थनगर। आइये आपका इंतेजार था, हुजूर आते आते बहुत देर कर दी। यह कहना था दोआबा क्षेत्र के उन ग्रामीणों का जो अपनी आपबीती विभाग के अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधि से कह रहे थे। पिछले एक सप्ताह से भय और डर के साये में बीते एक एक पल की दास्तां बयां कर रहे थे। जिमेदारों की संवेदना और सान्त्वना पर ग्रामीण कहावत कह रहे थे कि अब पछताने होत का, जब चिड़िया चुग गई खेत।जी हां साहब, जब समय रहते किसी समस्या के निराकरण का उपाय नही किया जाता तो परिणाम भयावह होते हैं। आखिकार ऐसा ही हुआ, बाँध का अधिकांश हिस्सा नदी में शमा गया, और आवागमन बाधित है, बस गनीमत रही कि पानी का स्तर नीचे था, नही तो स्थिति भयावह होती, सोचकर ही मन सिहर जाता है।
जी हाँ पिछले दिनों हुई बारिश से जनजीवन प्रभावित हुआ था,नदियों के कटान से कितने ही गाँवो के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा था मग़र समय पर न तो जिम्मेदार अधिकारियों का पता था और न ही जनप्रतिनिधियों का। पीड़ित क्षेत्र की जनता के लाख मनुहार के बाद भी शासन-प्रशासन के ज़िम्मेदारों की लापरवाही का नतीजा क्षेत्र के लोगों को भुगतना ही पड़ा। समय पर न तो विभाग के जिम्मेदार पहुंचे, और न ही कोई जनप्रतिनिध।
बता दें कि विकास क्षेत्र स्थित कूरा नदी के तट पर बसे गाँव इमिलिहा के पास केजी बाँध15.200 किलोमीटर पर काफी तेजी से कटान हो रही थी, दर्जनों गाँव पर खतरे के बादल मंडरा रहे थे, क्षेत्र के लोगों में डर का माहौल था, लोग अपना दर्द बयां करते नही थक रहे थे, मग़र समय पर कोई जिम्मेदार इनके ज़ख्म पर मरहम लगाने की जहमत नहीं की। यदि समय रहते कटान स्थल पर कटान रोकने के लिए समुचित व्यवस्था हुई होती तो शायद आज आवागमन बाधित नही होता।
हालांकि कटान स्थल पर विभाग के जिमेदारान भी पहुंचे और जनप्रतिनिध भी, मग़र तब तक बहुत देर हो चुका था, और तटबंध का अधिकांश भूभाग नदी के धारा परवाह में विलीन हो चुका था, गनीमत रही कि जलस्तर कम था। अब क्षेत्र के लोगों का सवाल यह है कि क्या कटान रोकने के लिए कोई ठोस पहल करेंगें जिम्मेदार? बाधित हुए आवागमन बहाली के लिए क्या उपाय करेंगे जिम्मेदार? या यूं ही क्षेत्र के लोगों को बाढ़ की त्रासदी से दो चार होने के लिए उनके हाल पर छोड़ देंगें, ये तो आने वाला समय ही तय करेगा।
दोआबा क्षेत्र के पूर्व प्रधान सगीर आलम, प्रेमचंद, वर्तमान प्रधान महबूब आलम सहित कलामुद्दीन, तबारक अली, डॉक्टर मुजम्मिल खान, बेचन सहानी, शेषराम आदि ने बताया कि यहाँ कटान का खतरा कई वर्ष से है, कटान रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया गया, मग़र किसी ने नही सुनी। ग्रामीणों ने कटान स्थल पर ठोस कार्य कराये जाने की माँग किया है, ताकि कटान की पुनरावृत्ति न हो सके।