Monday, 23 November 2020 6.04pm
Nawaz Shearwani
गोरखपुर-शैख़ अब्दुल कादिर वलियों के सरदार हैं : महताब आलम
'महफिल-ए-गौसुलवरा' का 5वां दिन व जलसा-ए-गौसुलवरा
गोरखपुर। हज़रत सैयदना शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां ऐसे अल्लाह के वली हैं कि जिनका डंका कयामत तक बजता रहेगा। शैख़ अब्दुल कादिर की करामात किसी से छिपी नहीं है। अल्लाह पाक ने उन्हें इतनी ताकत बख्शी है कि वह दुनिया में हर परेशान हाल की परेशानी को दूर करते हैं।
यह बातें कारी अफ़ज़ल बरकाती ने हज़रत सैयदना शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां की याद में नार्मल स्थित जामा मस्जिद हज़रत मुबारक खां शहीद में शनिवार को 'महफिल-ए-गौसुलवरा' के 5वें दिन कही।
उन्होंने युवाओं से अपील किया कि वह सामाजिक कल्याण और सामूहिक विकास के लिए आगे आएं और वैश्विक शांति की स्थापना के लिए हिन्दुस्तान को सबसे आगे खड़ा करने में सफल सहयोग दें।
वहीं इस्लामिया नगर रसूलपुर में जलसा-ए-गौसुलवरा हुआ। मौलाना महताब आलम ने कहा कि शैख़ अब्दुल कादिर का मर्तबा बहुत बुलंद है। मां के शिकम (पेट) में ही उन्होंने कुरआन-ए-पाक को कंठस्थ कर लिया था। मां जब कुरआन-ए-पाक की तिलावत करतीं, तो उसे सुनकर वो याद कर लिया करते थे। जब मां नेक होगी तभी बेटा शैख़ अब्दुल कादिर जैसा होगा। शैख़ अब्दुल कादिर पैदाइशी वली हैं। वो सारे वलियों के सरदार हैं और उन्होंने खुद कहा है कि मेरा कदम तमाम वलियों की गर्दन पर है इसीलिए आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां अलैहिर्रहमां फरमाते हैं "ये दिल ये जिगर है, ये आंखें ये सर है जहां चाहो रख दो कदम गौसे आज़म (शैख़ अब्दुल कादिर)"। एक बार बादशाहे वक्त ने शैख़ अब्दुल कादिर को अशर्फियों की थैली नज़राने में पेश की तो शैख़ ने उस थैली को मुट्ठी में लेकर दबाया तो उसमें से खून टपकने लगा और कहा कि तुम रियाया का खून चूस कर मुझे नज़राना पेश कर रहे हो। उन्होंने बादशाह को रियाया के साथ अदलो इंसाफ के साथ पेश आने का हुक़्म दिया।
इलाहीबाग में वारिसिया कमेटी की ओर से जलसा-ए-गौसुलवरा में सूफी निसार अहमद व मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी ने हिन्दुस्तान को दीन-ए-इस्लाम की सबसे उपयुक्त भूमि बताते हुए कहा कि भारतीय मुसलमानों ने अधिक संख्या में इस्लामी पुस्तकें लिखी हैं और वह दीन-ए-इस्लाम पर आधारित हैं जो शांति, सह अस्तित्व और प्रेम का संदेश देती हैं। हज़रत शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी की जिंदगी पर विस्तार से प्रकाश डाला गया।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क की तरक्की व खुशहाली की दुआ मांगी गई। जलसे में मौलाना रजिउल्लाह, मुफ्ती खुश मोहम्मद, मौलाना जहांगीर अहमद अज़ीज़ी, हाफिज खुर्शीद आलम, मौलाना जमील अख्तर, इरशाद अहमद, सुम्बुल हाशमी, शाकिब खान, शफक, सद्दाम, हाजी एकरामुद्दीन आदि मौजूद रहे।
--------------------------
इलाहीबाग में जलसा-ए-गौसुलवरा व लंगर 28 को
गोरखपुर। मोहल्ला इलाहीबाग आगा मस्जिद के पास 28 नवंबर शनिवार को रात 8:00 बजे से जलसा-ए-गौसुलवरा व लंगर-ए-गौसिया कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा। यह जानकारी कार्यक्रम संयोजक हाजी खुर्शीद आलम खान ने दी है। उन्होंने बताया कि मुख्य अतिथि के तौर पर देश के मशहूर धर्मगुरु मुफ्ती निज़ामुद्दीन नूरी व मौलाना मुख्तारुल हसन संबोधित करेंगे। अध्यक्षता कारी अफ़ज़ल बरकाती की होगी। तिलावत-ए-कुरआन कारी मो. मोहसिन रज़ा बरकाती करेंगे। नात-ए-पाक कारी आबिद अली व एज़ाज अहमद पेश करेंगे।