Saturday, 08 December 2018 6.11pm
Nawaz Shearwani
दीन-ए-इस्लाम के सदके में मिला महिलाओं को हक : गाजिया खानम
-दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद पर महिलाओं का जलसा
गोरखपुर। अराकीने कमेटी की जानिब से दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद नार्मल पर शनिवार को महिलाओं का 'जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी' जलसा आयोजित हुआ।
अध्यक्षता करते हुए इस्लामिक स्कॉलर गाजिया खानम अमज़दी ने कहा कि कुरआन-ए-पाक अल्लाह का कलाम है। यह एक मात्र किताब है जो सारी किताबों की सरताज है। यहां तक कि कयामत तक पैदा होने सारे सवालों का जवाब कुरआन-ए-पाक में है। दीन-ए-इस्लाम ने इस किताब के जरिए जो कानून अता किए हैं उनसे इंसानियत की हिफाजत होती है और आदमियत का वकार बढ़ता है। दीन-ए-इस्लाम पूरी इंसानी बिरादरी की हिफाजत की बात करता है। यही वजह है कि दीन-ए-इस्लाम की बरकत के नाते महिलाओं को इज्जत से जीने का हक मिला।
उन्होंने कहा कि दीन-ए-इस्लाम ने महिलाओं को बहुत से अधिकार दिए हैं। जिनमें प्रमुख हैं, जन्म से लेकर शादी होने तक अच्छी परवरिश का हक, शिक्षा और प्रशिक्षण का हक, शादी ब्याह अपनी व्यक्तिगत सहमति से करने, संपत्ति का हक आदि। दीन-ए-इस्लाम इज्जतो वकार के हिसाब से महिलाओं को बेहिसाब अधिकार देता है। हमारा दावा है कि आज महिलाओं के साथ पूरी दुनिया में जो अधिकार देने की बात की जा रही है वह दीन-ए- इस्लाम का सदका है, इसलिए सारे लोगों को इस्लामी कानून पर गौर करने की दावत दी जाती है।
उन्होंने पाबंदी से नमाज पढ़ने, कुरआन की तिलावत, पर्दे की पाबंदी, वालिदैन का हक अदा करने व छोटे-बड़ों का अदब करने की नसीहत करते हुए कहा कि मां की गोद बच्चे की पहली दर्सगाह होती है इसलिए महिलाओं का शिक्षित होना बहुत जरूरी है। पैगंबर-ए-आज़म (हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) की सुन्नत पर अमल करने की हिदायत करते हुए बोलीं कि मुसलमान बुराइयों को छोड़ कर अल्लाह व पैगंबर-ए-आज़म के बताए रास्ते पर अमल करें। शादियों को पैगंबर-ए-आज़म की सुन्नत के मुताबिक अमल में लाया जाए।
संचालन करते हुए इस्लामिक स्कॉलर नाजिश फातिमा शम्सी ने कहा कि पैगंबर-ए-आज़म (हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने महिलाओं को सम्मान और प्रतिष्ठा के समान स्तर पर लाकर बिठाया और मर्दों के साथ-साथ महिलाओं को भी तमाम सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक अधिकार प्रदान किए। पैगंबर-ए-आज़म के तशरीफ लाने से पहले अरब व दुनिया के अन्य देशों में महिलाओं की दशा काफी दयनीय थी। आपने बेटी की पैदाइश को शुभ बताया।महिलाओं के सम्मान की शिक्षा दी।
उन्होंने कहा कि पैगंबर-ए-आज़म की आमद से पहले दुनिया भर में जाहिलियत का बोल बाला था और अच्छाई व बुराई की भी लोगों को कोई पहचान नहीं थी। अल्लाह का लाख-लाख शुक्र और एहसान है कि पैगंबर-ए-आज़म को पूरी दुनिया का मालिको मुख्तार और आखिरी पैगंबर बना कर दुनिया में भेजा गया। पैगंबर-ए-आज़म की पैदाइश पूरी दुनिया के लिए अल्लाह की तरफ से नायाब तोहफा है। इस दिन पूरी दुनिया जुल्म व सितम से आजाद हुई। आखिरत संवारने के लिए जहां शरीयत का दामन थामना जरूरी है वहीं दुनिया संवारने के लिए इल्म की दौलत से भी मालामाल होना पड़ेगा।
नात शरीफ आलिमा गुलफिशां शम्सी व शमीना जब़ी अमज़दी ने पेश की। अंत में सलातो-सलाम पढ़कर नेक बनने-एक बनने व मुल्क में अमन चैन की दुआ मांगी गयी।
इस मौके पर अंजुम आरा, मुस्कान आलम, कहकशां बेगम, आसिया जमाल सिद्दीकी, नाहिद आसिफ, जरीना खानम, शाकीरा बेगम, हनी तबस्सुम, नीलू तबस्सुम सहित बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद रहीं।
------------
खोखरटोला में सालाना तीसरा जलसा आज
गोरखपुर। मोहल्ला खोखरटोला ज्य़ा मंजिल के निकट तीसरा सालाना जलसा 'जश्न-ए-आमदे रसूल' 9 दिसंबर रविवार को रात 8 से 12 बजे तक आयोजित किया जायेगा। जिसमें मुफ्ती अख्तर हुसैन, मुफ्ती मो. अज़हर शम्सी व मौलाना मोहम्मद अहमद की तकरीर होगी। यह जानकारी जलसा संयोजक फराज हसन ने दी है।
-----------------------