Monday, 20 August 2018 9.00pm
Nawaz Shearwani
गोरखपुर : 'अल्लाह' लिखा सलमान नाम का बकरा बिक रहा पांच लाख रुपया में गोरखपुर। बुधवार 22 अगस्त को ईद-उल-अजहा त्यौहार है, जो तीन दिन यानी 22, 23 व 24 अगस्त तक चलेगा। कुर्बानी के जानवरों के बाजार में तेज आ रही है। हैसियत वाले बकरा खरीद रहे हैं। हर बार की तरह इस बार भी कुछ खास बकरे अपने वजन व खूबसूरती तो कुछ ज्यादा कीमत की वजह से लोगों का ध्यान खींच रहे है। उर्दू बाजार जामा मस्जिद पर तो मेला सज रहा है। वहीं जाहिदाबाद मछली दफ्तर गोरखनाथ के पास रहने वाले मो. मैनुद्दीन व मो. निजामुद्दीन का बकरा सलमान आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पूरा मोहल्ला बकरे को प्यार से सलमान बुलाता है। बकरे के गर्दन के नीचे कुदरती तौर पर अरबी में 'अल्लाह' लिखा हुआ है। इस वजह से इसकी कीमत पांच लाख रुपया लगायी गयी है। गोरखपुर का यह सबसे महंगा बकरा है। इस बकरे को खरीदने कई लोग आ चुके हैं। अभी तक इसको खरीदने के लिए उच्चतम रेट दो लाख पचहत्तर हजार रुपया लगा है। सफेद-काले कलर (चित्तीदार) का यह बकरा 50-60 किलो वजन का बताया जा रहा है। अल्लाह लिखा होने की वजह से इसकी कीमत बढ़ गयी है। मो. निजामुद्दीन ने बताया कि यह बकरा वह छोटे काजीपुर से बाइस माह पहले लाये थे। तब नहीं पता था कि इसके शरीर पर 'अल्लाह' लिखा हुआ है। एक दिन अम्मी नमाज पढ़ रही थी तो जब उन्होंने सलाम फेरा तो उनकी नजर बकरे पर अरबी में 'अल्लाह' लिखे शब्द पर गयी उन्होंने घर के सभी लोगो को बुलाया फिर तो सब चकित हो गए। उसी रोज से बकरा सलमान की वैल्यू बढ़ गयी। उन्होंने बताया कि यह बकरा टॉफी, अंकल चिप्स, चना, फल-फ्रुट बहुत चाव से खाता है। खैर। यह बकरा पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ। खरीददार भी आ रहे हैं। "मुफ्ती अख्तर हुसैन कहते हैं कि किसी जानवर पर कुछ लिखा हो उसकी कुर्बानी की कोई फजीलत नहीं, फजीलत नियतों के खुलूस में है।" " --यहां सजता है कुर्बानी के जानवरों का बाजार जामा मस्जिद उर्दू बाजार, शाहमारूफ, खूनीपुर जब्हखाना, रेती रोड, मदीना मस्जिद, तुर्कमानपुर, चक्सा हुसैन, पाकीजा होटल खूनीपुर, अस्करगंज, जाफराबाजार, रसूलपूर, इलाहीबाग, गोरखनाथ, दीवान बाजार, गाजी रौजा ऊंचवा सहित अन्य जगहों पर बकरा व भैंस का बाजार सजता है। इसके अलावा दूरदराज के गांवों से लोग कुर्बानी का जानवर बेचने के लिये शहर का रुख करते हैं।" "-कुर्बानी की तैयारी शुरू, बाजार भी गुलजार मुस्लिम घरों में कुर्बानी की तैयारियां शुरु हो गयीं हैं। बाजार में सेवई, ड्राई फ्रूट, मसालों की खरीददारी तेज है। ईद-उल-अजहा के मौके पर बकरे का बाजार गुलजार है। बाजार में आमतौर पर छह से लेकर 20-25 हजार रुपया में बकरा मिल जा रहा हैं। जितना तंदुरुस्त व खूबसूरत बकरा उतनी ज्यादा उसकी कीमत। मोलभाव का भी दौर चल रहा हैं। महंगाई का असर कुर्बानी के जानवरों पर साफ तौर पर नजर आ रहा हैं। जहां बकरों के बाजार सजे हुए हैं वहीं बड़ें जानवर (भैंस) में हिस्सा लेने का बैनर व पोस्टर शहर में लगना शुरू हो गया है। लोगों ने पेशगी रकम जमा करानी भी शुरू कर दी है। काबिलेगौर कि हर साल शहर मे तीन दर्जन से अधिक स्थानों पर बड़ें जानवर (भैंस) की कुर्बानी तीन दिनों तक हर्षोल्लास के साथ होती हैं। इस बार भी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। बतातें चलें कि एक भैंस में सात लोगों की तरफ से कुर्बानी दिए जाने का प्राविधान हैं। भैंस व पड़वें में हिस्सा लेने के लिए प्रति हिस्सा दो हजार व तीन हजार रुपया लिया जा रहा हैं। बड़े जानवर में सात लोग शिरकत करते हैं, वहीं बकरे में एक लोग। "--मदरसे में है सामूहिक कुर्बानी का इंतजाम मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार में सामूहिक कुर्बानी का इंतजाम किया गया हैं। यहां तीन दिन मिलाकर कई दर्जन बड़े जानवरों की कुर्बानी होती हैं। मदरसा के प्रधानाचार्य हाफिज नजरे आलम कादरी ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी मदरसे में बड़ें जानवर (भैंस) की कुर्बानी का व्यवस्था की गयी है। उन्होंने बताया कि जो लोग बड़ें जानवर की कुर्बानी में हिस्सा लेना चाहते हैं वह मदरसे से सम्पर्क कर पेशगी की रकम प्रत्येक हिस्से के हिसाब से जमा करा सकते हैं। उन्होंने लोगों से अपील किया हैं कि कुर्बानी खुश दिली से अदा करें। कुर्बानी की खाल से इस मदरसे को भी जरूर नवाजें। रविवार को उनके मदरसे से एक टीम निकली, जिसने मुस्लिम घरों में जाकर कुर्बानी का हैंडबिल बांटा। हैंडबिल में कुर्बानी के फजायल, कुर्बानी की दुआ व तरीका, गोश्त तकसीम और खाल जमा कराने के लिए क्लेक्शन सेंटर आदि का उल्लेख है।" "मुफ्ती-ए-गोरखपुर मुफ्ती अख्तर हुसैन ने बताया कि पैगम्बर हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम व हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम से मंसूब एक वाकया ईद-उल-अजहा त्यौहार की बुनियाद है जिसके जरिए दोस्तों, अहबाब और गरीबों मिस्कीनों की दिलजुई होती है। मालिके निसाब पर कुर्बानी वाजिब है। इसी वजह से हर मुसलमान इस दिन कुर्बानी करवाता है। कुर्बानी का अर्थ होता है कि जान व माल को खुदा की राह में खर्च करना। कुर्बानी हमें दर्स देती है कि जिस तरह से भी हो सके अल्लाह की राह में खर्च करो। उन्होंने बताया कि हदीस में हैं कि साहाबा ने अर्ज किया या रसूलल्लाह सल्लल्लाहौ अलैहि वसल्लम यह कुर्बानी क्या है? आप ने फरमाया तुम्हारे बाप हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है। खास जानवर को खास दिनों में कुर्बानी की नियत से जिब्ह करने को कुर्बानी कहते है। हदीस में आया है कि रसूल-ए-पाक ने फरमाया कि यौमे जिलहिज्जा (दसवीं जिलहिज्जा) में इब्ने आदम का कोई अमल खुदा के नजदीक खून बहाने यानी कुर्बानी करने से ज्यादा प्यारा नहीं है। वह जानवर कयामत के दिन अपने सींग और बाल और खुरों के साथ आयेगा और कुर्बानी का खून जमीन पर गिरने से पहले खुदा के नजदीक मकामें कुबूलियत में पहुंच जाता है, लिहाजा इसको खुशी से करो। इस खुशी के मौके पर गरीबों को जरुर-जरुर याद रखना चाहिए ताकि गोश्त हासिल करके वह भी खुश हो जाएं।" ------