Wednesday, 31 October 2018 10:20 pm
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दिल्ली हाईकोर्ट ने 1987 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के हाशिमपुरा नरसंहार मामले में एक अल्पसंख्यक समुदाय के 42 लोगों की हत्या के जुर्म में 16 पीएसी जवानों को बुधवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। दिल्ली हाईकोर्ट ने 6 सितंबर को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की पीठ ने निचली अदालत के उस आदेश को पलट दिया जिसमें उसने आरोपियों को बरी कर दिया था।
हाईकोर्ट ने प्रादेशिक आर्म्ड कॉन्स्टेबुलरी (पीएसी) के 16 पूर्व जवानों को हत्या, अपहरण, आपराधिक साजिश और सबूतों को नष्ट करने का दोषी करार दिया। अदालत ने नरसंहार को पुलिस द्वारा निहत्थे और निरीह लोगों की ‘लक्षित हत्या’ करार दिया। गौरतलब है कि 31 साल पहले मई 1987 में मेरठ के हाशिमपुरा में 42 लोगों की हत्या कर दी गई थी।
इस मामले में 21 मार्च 2015 को निचली अदालत द्वारा हत्या और अन्य अपराधों के आरोपी 16 पुलिसकर्मियों को बरी करने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। निचली अदालत ने संदेह के आधार पर पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया था। दोषी करार दिए गए पीएसी के सभी 16 जवान रिटायर हो चुके हैं।
ट्रायल कोर्ट के इस फैसले को यूपी सरकार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और कुछ अन्य पीड़ितों ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले में बीजेपी सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी याचिका दायर कर तत्कालीन मंत्री पी चिदंबरम की भूमिका की जांच की मांग की थी। अदालत ने सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की।