Tuesday, 28 April 2020 7:35 pm
Sadique Shaikh
दैनिक विस्तार सिद्धार्थनगर। कोरोना प्रभाव के कारण पूरे देश मे चल रहे लॉक डाउन में गरीब मजदूरों की रोजी रोटी बन्द होने से निवालों के लाले पड़ने की स्थिति में उनकी जीविका सुचारू रूप से चल सके ऐसे हालात में सरकार द्वारा मनरेगा कार्यों को सशर्त अनुमति दी गई है। किन्तु सरकार के इस अनुमति को ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाकर ग्राम पंचायतों द्वारा मनरेगा कार्यो के तहत होने वाले धनों का बन्दर बांट किये जाने की व्यवस्था की जा चुकी है। ऐसा ही एक मामला विकास क्षेत्र बर्डपुर के ग्राम पंचायत चकई जोत का प्रकाश में आया है, यहां के ग्राम प्रधान सुनील कुमार यादव द्वारा रविवार को कतिपय व्हाट्सएप ग्रुप पर फोटो के साथ यह जानकारी दी गई कि आज से मनरेगा कार्य की शुरुवात हुई, जिसकी पड़ताल करने के लिए जब कार्य स्थल का जायजा लिया गया तो वहाँ पर कार्य कर रहे मजदूरों ने बताया कि कार्य आज से शुरू हुआ है और कुल 18 मजदूर कार्य कर रहे हैं जबकि उस श्रमिकों की टोली का मुखिया जो बैठा हुआ था हमलोगों को देखते ही मिट्टी सहेजने में जुट गया। जब इस मामले में ग्राम पंचायत सचिव मोहम्मद अजहरुद्दीन से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि 20 मजदूर काम पर लगाए गए हैं तथा मैन डेज के बारे में बताया गया कि काम पूरा होने के पश्चात हाजिरी भरी जाती है, वहीं जब इस मामले में रोजगार सेवक राम जीत से बात की गई कि कितने मजदूर कार्य कर रहे हैं तो उनका जवाब मिला कि आज तो कार्य हो ही नही रहा है आज के पहले दो दिन काम हुआ था आज सुबह बारिश होने के नाते काम बन्द है। ऐसे में यह साफ पता चल रहा है कि मनरेगा कार्यो में मजदूरो की संख्या अटेंडेंस शीट पर कुछ और दी जा रही है तथा वास्तविकता में कुछ और मजदूर कार्य कर रहे हैं। सरकार द्वारा मजदूरो को दी जाने वाली राहत में प्रधानों एवं पंचायत सचिवों द्वारा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाकर मजदूरों के मजदूरी का बन्दर बांट किया जा रहा है। इस साइट पर कार्य कर रहे एक मजदूर ने बताया कि मजदूरी की हाजिरी जितना दिन काम होता है उससे कई दिन और जोड़कर काम का दिन बढ़ा दिया जाता है और जब खाते में पैसा आता है तो उसमें जितने दिन हम कार्य किये होते हैं उतने दिन का पैसा हम को देते हैं बाकी जो बढ़कर दिन लिखा होता है उसका पैसा प्रधान द्वारा निकलवाकर ले लिया जाता है। इस सम्वन्ध में डीसीमनरेगा ने बताया कि यदि ऐसी स्थिति है तो वास्तव में यह निर्देशों और मनरेगा के उद्देश्यों के विपरीत है, हमलोग श्रमिकों को उनके अधिकारों के प्रति सजग करते रहते हैं वहाँ गड़बड़ी की दशा में इसका संज्ञान लेकर अग्रेतर कार्यवाही की जा रही है और इस संबंध में खण्ड विकास अधिकारी को निर्देशित किया जा रहा कि इसका स्पष्टीकरण जारी करें।