Thursday, 03 December 2020 8.09pm
Nawaz Shearwani
हर औरत माँ, बहन, बेटी समान, हो पूरा सम्मान : मोहम्मद अहमद गोरखपुर। मंगलवार को हज़रत सैयदना शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां की याद में बसंतपुर में जलसा-ए-ग़ौसुलवरा हुआ। संचालन हाफिज मो. आरिफ रज़ा ने किया। अध्यक्षता कारी मो. मोहसिन रज़ा बरकाती ने की। विशिष्ट अतिथि गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर के इमाम मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम ने चौदह सौ सालों से अमन की बात की है। मक्का शरीफ जीतने के बाद पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने सबको माफ करके यह दिखा दिया कि दीन-ए-इस्लाम रहमत का पैरोकार है। दीन-ए-इस्लाम में औरतों का बहुत ऊंचा स्थान है। दीन-ए-इस्लाम ने औरतों को अपने जीवन के हर भाग में महत्व प्रदान किया है। माँ के रूप में उसे सम्मान प्रदान किया है, पत्नी के रूप में उसे सम्मान प्रदान किया है, बेटी के रूप में उसे सम्मान प्रदान किया है, बहन के रूप में उसे सम्मान प्रदान किया है, विधवा के रूप में उसे सम्मान प्रदान किया है, खाला के रूप में उसे सम्मान प्रदान किया है, तात्पर्य यह कि दीन-ए-इस्लाम ने हर परिस्थितियों में औरत को सम्मान प्रदान किया है इसलिए मैं कहता हूं कि समाज के हर शख्स को इस नारे पर अमल करना चाहिए "हर औरत माँ, बहन, बेटी समान, हो पूरा सम्मान"। मुख्य अतिथि नायब काजी मुफ्ती मो. अज़हर शम्सी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम इल्म पर ज्यादा जोर देता है। दीन-ए-इस्लाम में इल्म हासिल करना और दूसरों तक पहुंचाना अजीम दर्जें में रखा गया है। जंग-ए-बद्र के वक्त पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का फरमान था कि जो काफिर पढ़े लिखे हैं वह दस मुसलमानों को पढ़ाएंगे तो वह आज़ाद हैं। दीन-ए-इस्लाम ने अमानतदारी, वादा पूरा करना, झूठ से बचने, दूसरे के हक का ख्याल, मां-बाप की ख़िदमत, उस्ताद की फरमाबरदारी का पैगाम दिया है। अंत में सलातो सलाम पढ़कर खैरो बरकत की दुआ मांगी गई। जलसे में महबूब आलम इदरीसी, मकसूद आलम, महमूद आलम, सरफराज आलम, मोहम्मद अहमद, दानिश, तनवीर, अल वहाब, इलियास, मास्टर तौफीक, मुफ्ती शमीम अहमद मंजरी आदि मौजूद रहे।