Friday, 07 July 2017 06:33 PM
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हाल ए सिद्धा्र्थनगर डिपो
नगर संवाददाता,सिद्धार्थनगर। परिवहन विभाग सिद्धा्र्थनगर का हाल किसी से छुपा नहीं है। यहां बसों के चलने का कोई समय निश्चित नहीं है केवल सुबह और रात में चलने वाली लम्बी दूरी की बसें जैसे लखनऊ और इलाहाबाद को जाने वाली बसों का समय निश्चित है। वहीं जनपद के अन्दर बढ़नी, शोहरतगढ़, बांसी, इटवा, डुमरियागंज, ककरहवा, और बर्डपुर तक चलने वाली बसों के समय के बारे में पूछने पर जवाब मिलता है कि अमुक जगह से आयेगी वही जायेगी। मगर आने और जाने का समय निश्चित न होने से यात्रियों को हलकान होना पड़ता है। वहीं परिवहन विभाग के सूत्र बताते हैं कि डिपो घाटे में ही चल रहा है।
हालांकि कुछ समय पूर्व जब तक रेलवे की बड़ी लाइन की गाड़ियां नहीं चली थीं तो बसों की रफ्तार बढ़ गयी थी जबकि बसों का किराया ट्रेन से लगभग चार गुना अथिक पहले भी था और आज भी है, लेकिन तब बस यात्रियों की संख्या अधिक थी। इसे यात्रियों की मजबूरी भी कह सकते हैं कि जब तक बड़ी लाइन नहीं शुरू हुई थी तब तक नौगढ़ से गोरखपुर तक के लिये यात्रा कठिन थी। आज हालत यह है कि लखनऊ और इलाहाबाद के अलावा जनपद में कहीं भी जाने के लिये यात्रियों को घंटों इंतिजार करना पड़ता है।
एक जानकारी के मुताबिक इस समय सिद्धा्र्थनगर डिपो में 45 बसें हैं। जिनमें 7 नयी हैं। बाकी बसों के बारे में यह कहा जाये कि हार्न के अलावा सब बजता है तो अनुचित न होगा। जनपद के बढ़नी, डुमरियागंज और इटवा जैसे कस्बों से दिल्ली और मुंबई के बहुतायत यात्री हैं लेकिन यह भी प्राईवेट को ही वरीयता देते हैं। आखिर क्या कारण है कि सरकारी बसों को छोड़कर यात्री प्राइवेट की ओर भागते हैं। वहीं एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि डिपो की आमदनी कम है और खर्चा अधिक तो डिपो घाटे में क्यों न रहेगा। ऐसा लगता भी है कि जब से बड़ी लाइन की गाड़ियां चलने लगी हैं तबसे बस यात्री भी कम हो गये हैं। क्योंकि अब लखनऊ व दिल्ली के लिये कई सीधी ट्रेनें हो गयी हैं। वहीं आज भी बसों के यात्री कम होने का एक मुख्य कारण किराया है। नौगढ़ से गोरखपुर का ट्रेन से किराया बीस रुपये है तो वहीं बस से यही किराया लगभग अस्सी रुपये है। वहीं एक और कारण है ,स्टाफ की कमी जिसके कारण आये दिन अधिकांश बसें डिपो में खड़ी रहती हैं। अक्सर ड्राइवर और कन्डक्टर गायब रहते हैं और बसें यात्रियों का मुंह तकते हुए अपने ड्राइवर और कन्डक्टर की प्रतीक्षा में डिपो में खड़ी रहती हैं। स्टाफ की कमी को देखते हुए संविदा पर भी कर्मचारी लगाये गये हैं फिर भी अधिकांश बसों के चक्के जाम ही रहते हैं।
इस सम्बंध क्षेत्रीय प्रबंधक ए.पी.सिंह का कहना है कि डिपो सुविधाओं को बढ़ाने के लिए उच्चाधिकारियों को बताया गया है और शीघ्र ही जो कमियां हैं उन्हें भी दूर करते हुए यात्रियों की सुविधाओं को भी बढ़ाया जायेगा। अब देखना है कब तक सिद्धा्र्थनगर आदर्श डिपो की श्रेणी में आता है।