Thursday, 30 May 2019 8:51
G.A Siddiquiग
अरसद खान।
सिद्धार्थनगर। उपद्रवियों तर्जे अमल अपना न बदला तो चमन बदनाम भी होगा, चमन वीरान भी होगा। उपद्रवियों के आरोप पर प्रशासन द्वारा एक सम्प्रदाय को नमाज और तरावीह पढ़ने पर रोक कही शासन सत्ता के इशारे पर तो नही हुई? इस बात से इनकार नही किया जा सकता है। तो क्या शासन और प्रशासन भी उपद्रवियों की श्रेणी में है? प्रशासन द्वारा एक तरफ नमाज पढ़ने पर रोक लगाने के बाद दोनों पक्षों में सहमति से नमाज बहाल कराने में प्रशासन की संदिग्ध भूमिका से इनकार नही किया जा सकता। हालांकि हस्तक्षेप से मामला शान्त हो गया है, और नमाज और तरावीह पढ़ने पर दोनों पक्षों में सहमति बन गई है।
बता दे कि डुमरियागंज तहसील के त्रिलोकपुर थाना क्षेत्र स्थित कटरिया बाबू में उपद्रवी तत्वों की शिकायत पर प्रशासन ने एक सम्प्रदाय द्वारा नमाज और तरावीह पढ़ने पर रोक लगा दी। जबकि 40 वर्षो से नमाज और तरावीह पढ़ने का सिलसिला चला आ रहा है। ग्रामीण की माने तो सत्ता पक्ष के इशारे पर प्रशासन ने नमाज और तरावीह पढ़ने पर रोक लगाया गया था। एक पक्ष दो दिन तक दोनों पक्षों में वाद विवाद के कारण नमाज अदा नही कर सका, मग़र मामला मीडिया के हस्तक्षेप से ऊपर तक जाने के कारण प्रशासन ने दोनों पक्षों में नमाज तरावीह पढ़ने पर सुलह कराई।
इस मामले में जब एसडीएम डुमरियागंज से बात की गई तो उन्होंने दो तरह की बात कही, उन्होंने कहा कि नमाज रोके जाने की सूचना गलत है, तो दूसरी तरफ कहा कि गाँव जाकर नमाज बहाल करने के लिए व्यवस्था कराई जाएगी। ऐसे में सवाल यह है कि जब नमाज पर रोक लगाई ही नहीं गई थी, तो व्यवस्था कराने का कोई सवाल ही नही था। इससे जाहिर होता है कि सत्ता पक्ष के इशारे पर प्रशासन कार्य कर रहा था, मग़र मीडिया हस्तक्षेप से प्रशासन ने दो दिन तक बन्द रही नमाज पर बहाल करने पर सहमति बनी।
ऐसे में यह कहा जाना गलत नही होगा कि स्थानीय शाशन सत्ता पक्ष सहित स्थानीय प्रशासन भी उपद्रवियों की श्रेणी में शामिल था, मग़र गनीमत यह रही कि षणयंत्र में शामिल उपद्रवियों की कोशिशें नाकाम हो गई। षणयंत्र को नाकाम करने में सहायक तंत्र का आभार तो करना होगा, और उच्च स्तरीय जांच कर साजिश रचने वालों के विरुद्ध कार्यवाही भी होना लाजमी है।