Sunday, 09 February 2020 10:50
G.A Siddiqui
लखनऊ 09फरवरी। घंटाघर लखनऊ पर जुटी हज़ारों की भीड़ ने एक सुर में कहा कि सीएए, एनपीआर और एनआरसी किसी भी दशा में मंज़ूर नही होगा। आम अवाम की तरफ से आज लखनऊ चलो की कॉल थी जिसमे देश के कोने कोने से लोग शामिल होने सुबह से ही पहुंचना शुरू हो गए थे। दिल्ली, बिहार, उड़ीसा, राजस्थान से बड़ी संख्या में लोग घंटाघर और उजरियाव धरने में शामिल हुए। उत्तर प्रदेश के अलग अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में महिलाओं की भागदारी रही।
सभा को संबोधित करते हुए गौतम मोदी ने कहा कि ये वक़्त हम सभी के लिए मजबूती से साथ खड़े रहने का है। हम सभी देश बंचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं और इस बार इसकी कयादत महिलाएं कर रही हैं। मौजूदा सरकार के इस गैरसंवैधानिक कानून से सबसे ज़्यादा नुकसान इस देश के गरीब, मज़दूर और भूमिहीनों को होने जा रहा है। यह सरकार सिर्फ मुस्लिम विरोधी नही बल्कि दलित, आदिवासी और महिला विरोधी भी है। इस लिए इस कानून से सिर्फ मुसलमानो का नुकसान है ऐसा समझने वाले गलती कर रहे हैं। मैं सभी से अव्वाहन करता हूँ कि मुल्क और संविधान बचाने की इस लड़ाई में हम सभी को कंधे से कंधा मिला कर जुटना होगा।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एच. आर. खान ने कहा कि शाहीन बाग़ से शुरू हुआ आंदोलन आज पूरे देश मे फैल गया है इसके लिए हमारी बहनों और माओं को ढेरों मुबारक़बाद। हम सभी मुत्मइन है कि ये लड़ाई हम ही जीतेंगे क्योंकि इस लड़ाई की रहनुमाई इस देश की माओं के हाथ मे है। हमे बस इतना ख्याल रखना होगा कि इस पूरी लड़ाई में एकजुट हो कर सभी को साथ लेकर चलना होगा।
नताशा नरवाल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि आज़ादी के आंदोलन के बाद देश मे ये पहला मौका है जब महिलाएं सड़क पर हैं और हम अपना हक लिए बिना वापस जाने वाले नही है। सरकार को झुकना ही पड़ेगा। हम किसी भी कीमत पर अपने आंदोलन को वापस नही लेने वाले। इस देश की महिलाओं ने अब तय कर लिया है कि फासीवाद के खिलाफ ये निर्णायक जंग इस देश की महिलाओं के नेतृत्व में हम जीतने जा रहे हैं।
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि जनता ने सरकार के दमन के खिलाफ घुटने टेकने से इनकार कर दिया है। सरकार को इस बात को समझना होगा कि जनता ने अब तय कर लिया है कि सूबे ही नही देश की सरकार को भी बदल दिया जाएगा। अगर सरकारें बांटने की राजनीति करेंगी तो फुले और फातिमा की संतान मिल कर एकजुट होकर गोडसे वादियों को इस देश से बाहर कर देंगी।
जेएनयू, जामिया, डीयू, अम्बेडकर यूनिवर्सिटी दिल्ली, एएमयू, बीएचयू आदि से आए छात्र नेताओं ने एक स्वर में कहा कि यूपी में हुए दमन के खिलाफ हम सब एकजुट हैं.