Saturday, 18 April 2020 7:24
G.A Siddiqui
लखनऊ 18 अप्रैल 2020। रिहाई महासचिव राजीव यादव ने कहा कि आजमगढ़ निजामाबाद के अमानतुउल्लाह और मोहम्मद अहमद के रिश्तेदार मोहम्मद आदिल ने उन्हें बताया कि दोनों को कोरोना महामारी के मद्देनजर पैरोल पर छोड़ा गया था। जेल से निकले के बाद कल तक उन्हें कोरोनटाइन किया गया था। कल जब वहां से उन्हें घर जाने के लिए छोड़ा गया तब पुलिस ने उन्हें उठा लिया। जिसके बाद उनके परिजनों ने थाने पर जब बात की तो थानेदार ने कहा की सरकार का आदेश है कि उन पर गैंगस्टर लगाया जाए। जिसके बाद उन्होंने पुलिस अधीक्षक आज़मगढ़, मुख्य न्यायधीश सर्वोच्च न्यायालय, मुख्य न्यायधीश उच्च न्यायालय इलाहाबाद, राज्यपाल उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, गृह मंत्रालय, गृह मंत्रलय उत्तर प्रदेश, राज्य मानवाधिकार आयोग उत्तर प्रदेश, राज्य अल्पसंख्यक आयोग उत्तर प्रदेश और जिलाधिकारी आजमगढ़ को शिकायती पत्र लिखा। आदिल बताते हैं की उन पर पुलिस ने गैंगस्टर लगा दिया।
हाईकोर्ट अधिवक्ता संतोष सिंह ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पैरोल पर छूटे कैदियों पर गैंगस्टर के तहत कार्रवाई को बदलें की कार्रवाई कहा। उन्होंने कहा कि सरकार ने अगर गैंगस्टर के तहत कार्रवाई का कोई आदेश दिया है तो उसे सार्वजनिक करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद छूटे कैदियों के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई ज़हां न्यायालय की अवमानना है वहीं कोरोना जैसी महामारी के प्रति प्रशासन की अगम्भीरता को उजागर करता है।
रिहाई मंच ने कहा कि यह कारवाई में समाज के एक खास तबके पर हमले जैसी है। उन्होंने कहा की माननीय सुप्रीम कोर्ट इस बात का संज्ञान ले क्योंकि जेलों में वंचित समाज के कैदियों की संख्या सरकारों की दोषपूर्ण नीतियों के चलते अधिक है। कोरोना महामारी के दौर में यह मनुवादी व्यवहार कैदियों के जीवन के लिए खतरा बन जाएगा।