Tuesday, 08 December 2020 6:58
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सरकारी जमीन पर बनी आलीशान बिल्डिंग।
*पांच सदस्यीय टीम रिपोर्ट से हुआ खुलासा।
*बसपा सरकार में हुआ था निर्माण कार्य, एन्टी भूमाफिया टास्क फोर्स भी बेबस।
*एक दशक से सालाना लाखों की आमदनी का जरिया बनी इमारत।
सिद्धार्थनगर।भले ही योगी सरकार सरकारी जमीनों पर काबिज हो चुके माफिया के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई करने की बात कह रही हो, लेकिन जिले का प्रशासन भूमाफिया के रुतबे के आगे बेबस साबित हो रहा है। सरकार की कीमती जमीन पर कब्जा जमाए हुए माफिया की सेहत पर कोई फर्क पड़ता नही दिखाई दे रहा है। जी हाँ ऐसा ही एक मामला है जहाँ भू माफिया ने नवीन परती की जमीन पर भव्य इमारत का निर्माण तक करा लिया और प्रशासन तमाशबीन बना रहा।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, सदर तहसील के पीछे राहुलनगर मुहल्ले में स्थित आलीशान बनी बहुमंजिला इमारत इस बात का प्रतीक है। नवीन परती के कुछ भाग में स्थित आलीशान इमारत की अलग ही दास्तां है। इस भवन का निर्माण कार्य बसपा शासन काल में शुरू हुआ और नवीन परती पर निर्माण की सूचना पर तत्कालीन नियत प्राधिकारी(एसडीएम) ने संज्ञान लिया और जाँच टीम गठित कर आख्या माँगी।पांच सदस्यीय टीम ने नवीन परती के कुछ भू भाग पर निर्माण किये जाने की जांच आख्या सौंपी, बावजूद इसके निर्माण कार्य क्यों नही रुका इसके पीछे का रहस्य तो जिम्मेदार अफसर ही बता सकते हैं। बहरहाल अब तो नवीन परती पर आलीशान भवन बन चुका है, जिसमे जिलापूर्ति कार्यालय भी संचालित है, और लगभग पिछले एक दशक से भवन आमदनी का जरिया बना हुआ है,किराये से सालाना लाखों रुपये की आमदनी का स्रोत भी है।
बहरहाल पाँच सदस्यीय टीम की जांच आख्या के बाद भी निर्माण कार्य न रोके जाने के पीछे शासन सत्ता का हाथ और भवन स्वामी की बसपा के एक नेता का इस मामले में सीधा हस्तक्षेप माना जा रहा था। भवन स्वामी पूर्व में प्रधान भी रह चुका है और राजनीतिक दल बसपा में अच्छी खासी पकड़ भी थी। उस समय लगभग छः साल पहले निर्माण कार्य पर स्थानीय लोगों ने भी हो हल्ला मचाया था, मग़र भवन स्वामी ने किस तरह लोगों और प्रशासन को शांत कर निर्माण करा लिया आश्चर्यजनक है।
बता दें कि गाटा संख्या 430 मिन्न से 52.14वर्ग मीटर रजिस्टर्ड क्रय कर निर्माण कराया गया। कुछ समय बाद पुनः चौहद्दी दिखा कर40×29 का दूसरा बैनामा कराकर निर्माण कार्य शुरू हुआ, जिसकी शिकायत पर नियत प्राधिकारी ने जाँच कराई तो निर्माण कार्य का कुछ भू भाग गाटा संख्या 429 व 431 में पाया गया जो अभिलेख में नवीन परती दर्ज है। ऐसे में भवन स्वामी द्वारा पहले कुछ भाग रजिस्टर्ड क्रय किया औऱ पुनः दूसरा कूटरचित बैनामा कर सरकार की बेशकीमती जमीन पर कब्जा करने का उद्देश्य ही रहा हो, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता।
अब सवाल यह कि बसपा शासन काल मे सरकारी जमीन पर बनी आलीशान बिल्डिंग पर योगी सरकार के फरमान का कितना असर पड़ता है। और एन्टी भू माफिया टास्क फोर्स की टीम जिसके अध्यक्ष जिलाधिकारी एवं सदस्य एसडीएम सदर स्वयं हैं, भूमाफिया के विरुद्ध कार्रवाई करेंगे, या उसके रुतबे के आगे बेबस साबित होंगे यह तो समय ही बतायेगा। इस सम्बंध में डीएम दीपक मीणा ने दूरभाष पर बताया कि मामले को दिखवाता हूं, अगर ऐसा है तो कार्रवाई होगी।