Thursday, 17 December 2020 8:41
G.A Siddiqui
बिदेशी पक्षियो का शिकार जोरोंं पर जिम्मेदार मौन
पथरा ताल और मेहीताल मेंं सरेआम शिकारी पक्षियोंं का शिकार करके मोटी आमदनी कमा रहे
//शैलेन्द्र पण्डित-बृजेश कुमार "वीरू"//
बांसी। पथरा कस्बे से एक किलो मीटर की दूरी पर स्थित लगभग 53 हेक्टेयर मेंं फैला पथरा ताल जहां पर ठंडक का मौसम शुरू होते ही तरह तरह की रंग बिरंगी पंक्षियोंं का आना शुरू हो जाता था। जिससे पूरा ताल पंक्षियो के चहचहाहट से गुंंजता था। ठंडक के मौसम मेंं इन पंक्षियोंं के देखने के लिए लोग काफी संख्या मेंं पथरा ताल पर पहुंचते थे। फिर सिलसिला शुरू हुआ इन पंक्षियोंं के शिकार का और हर साल शिकारी भारी मात्रा मेंं विदेशी पंक्षियोंं का शिकार करने लगे जिसके चलते साल दर साल विदेशी पंक्षियोंं का पथरा ताल मेंं आना कम हो गया। जहां हर साल हजारोंं की संख्या मे लालसर,कैएमा,पटेरा, टिकिया जैसी विदेशी पंक्षियोंं का ताल मे भरमार रहता था। वहींं बात करे पिछले साल और इस साल की तो बहुत कम ही पंक्षीयोंं का आना हुआ है । ऐसे मेंं ठंडक मेंं पंक्षियोंं का डिमांड ज्यादा होने पर शिकारी इन का शिकार रात मेंं करके भोर मेंं ही बेच देते है। अब इन पंक्षियोंं की रेट की बात करेंं तो 1000 रूपये से लेकर 2500 रुपये जोड़े तक की कीमत मेंं इनको बेचते हैंं। बिभाग द्वारा शिकारियोंं पर कोई कार्रवाई न किये जाने से इनके हौसले बुलंद हैंं । यही हाल क्षेत्र के मेहीताल का है जहां साइबेरियन पंक्षियोंं का शिकार जोरोंं पर है और जिम्मेदार मौन है।
कुछ इस तरह पकड़ते पंक्षियो को ।
जब रात्रि के समय सारी पंक्षीया पानी मे रहती है तब उसी समय शिकारी नाव लेकर तालाब मे जाते है । और बड़ी बड़ी टार्च से आसमान मे लाईट जलाते है। और थाली पिटते है जिससे पंक्षीयो को लगता है कि बादल चमक रहा है । और बर्षात होने वाली है। जैसे ही वह उड़ने लगती है । उनको जाल फेक कर पकड़ लेते है।