Friday, 08 December 2017 5:49
G.A Siddiqui
मुंबई महाराष्ट्र के गोंदिया से बीजेपी सांसद नाना पटोले ने लोकसभा से इस्तीफा देने के बाद दिल्ली में कांग्रेस नेता मोहन प्रकाश से मुलाकात की है। माना जा रहा है कि वह कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। पटोले ने शुक्रवार को लोकसभा के साथ-साथ बीजेपी की सदस्यता से भी इस्तीफे का ऐलान किया था।
खबर के मुताबिक यह बात सामने आई है कि पटोले ने पार्टी और संसद सदस्यता से इस्तीफे के फैसले से पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी। पहले कहा जा रहा था कि वह किसी पार्टी में शामिल नहीं होंगे लेकिन टाइम्स नाउ को सूत्रों ने बताया कि उन्होंने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से विस्तृत चर्चा के बाद ही इस्तीफा दिया है। बाद में दिल्ली में मोहन प्रकाश से मुलाकात के बाद इन अटकलों को दम मिला है कि पटोले कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। पटोले ने इस्तीफा देने के बाद कहा कि बीजेपी में उनकी आवाज नहीं सुनी जा रही थी। उन्होंने कहा कि वह लोकसभा में लोगों के मुद्दों को उठाने के लिए आए थे लेकिन उन मुद्दों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया। पटोले और बीजेपी में लंबे समय से खींचतान चल रही थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 में पद संभालने के बाद बीजेपी और लोकसभा से इस्तीफा देने वाले पटोले पहले सांसद हैं। इससे पहले उन्होंने एक जनसभा में यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि प्रधानमंत्री को सवाल पूछा जाना पसंद नहीं है और वह अपनी आलोचना नहीं सुनना चाहते।
सितंबर महीने में हुई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में गैरहाजिर होकर पटोले ने अपनी नाराजगी साफ जाहिर की थी। तब इसकी सफाई में पटोले ने कहा था कि वह अपने संसदीय क्षेत्र गोंदिया में पहले से तय कार्यक्रम में व्यस्त थे, इसी वजह से उन्होंने इस अहम बैठक में शिरकत नहीं की थी। यही नहीं पटोले लगातार प्रधानमंत्री मोदी के कामकाज के तरीकों की आलोचना करते रहे हैं। उन्होंने अक्टूबर महीने में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी। दोनों के बीच करीब ढाई घंटे तक चर्चा हुई थी। तब माना जा रहा था कि वह शिवसेना में शामिल हो सकते हैं। बता दें कि पटोले ने इससे पहले 2009 में किसानों के मुद्दे पर कांग्रेस से नाराज होकर विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। 2014 के चुनाव में बीजेपी ने उन्हें लोकसभा का टिकट दिया था। वह चुनाव जीते और पहली बार सांसद बने। बावजूद इसके वह मोदी के प्रभाव में आए बिना अपनी बात मुखरता से कहते रहे थे।