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सिद्धार्थनगर।
सिद्धार्थ नगर जिले की इकलौती लोकसभा सीट डुमरियागंज 60 पर तीसरी बार भाजपा ने जगदंबिका पाल को टिकट देकर अपना प्रत्याशी बनाया है। वही संत कबीरनगर के पूर्व सांसद भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी सपा के टिकट पर यहां से चुनाव मैदान में है। दोनों के बीच ही हार और जीत का फैसला होना है। अगर हम बात करें भाजपा प्रत्याशी जगदम्बिका पाल की तो जगदम्बिका पाल राजनीति के पुराने खिलाड़ी माने जाते हैं। 2004 में वह कांग्रेस के टिकट पर बस्ती ज़िले से आकर वह डुमरियागंज लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वह हार के बाद भी लगातार सिद्धार्थनगर जिले में डटे रहे और लोगों की सेवा करते रहे जिसका सुखद परिणाम उन्हें 2009 के लोकसभा चुनाव में मिला जब वह दोबारा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे और उन्हें जीत हासिल हुई। जगदंबिका पाल राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं इसलिए 2014 में मोदी की लहर देखते हुए वह भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा से टिकट लाकर उन्होंने 2014 और 2019 का चुनाव जीता अगर कांग्रेस के उनके कार्यकाल को जोड़ लिया जाए तो वह लगातार तीन बार से सांसद हैं और चौथी बार फिर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। सिद्धार्थनगर जिले में उनके लगातार जीत की बात करें तो शादी विवाह से लेकर लोगों के सुख-दुख में बराबर शामिल वह या उनके लोग शामिल हुए। सिद्धार्थ उनके सांसद बनने के बाद सिद्धार्थनगर में विकास भी देखा गया जिसमें कांग्रेस के समय में उनके द्वारा प्रयास कर गोरखपुर गोंडा लूप लाइन का कन्वर्जन, जनपद मुख्यालय पर केंद्रीय विद्यालय, पासपोर्ट ऑफिस, मेडिकल कॉलेज की स्थापना, पर्यटक स्थल कपिलवस्तु में कुछ काम और नेशनल हाईवे शामिल है ।
पाल के सांसद रहते ग्रामीण तक जाने वाली और ग्रामीणों की सड़कों की हालत बहुत ही खस्ताहाल हुई। हालत यह है कि इन सड़कों पर अभी चलना दुश्वार है और मौजूदा चुनाव में खराब सड़क उनके लिए परेशानी का सबक बनी हुई है इसके अलावा सिद्धार्थनगर जिला का उद्योग शून्य होना लोगों का पलायन रोकने के लिए कोई ठोस प्रयास न करना भी इनका माईनस फैक्टर है। अगर हम बात करें सिद्धार्थनगर जिले के जातीय फैक्टर की तो सिद्धार्थनगर जिले में करीब साढे 19 लाख मतदाता है जिसमें 26 प्रतिशत मुस्लिम 19% दलित और 11% ब्राह्मण 27% ओबीसी की बड़ी तादाद है। 2024 के चुनाव में सांसद जगदंबिका पाल को तीसरी बार भाजपा से टिकट दिए जाने के पीछे की वजह यहां के लोगों के समझ से परे हैं क्योंकि तीन बार से लगातार सांसद रह चुके जगदंबिका पाल को लेकर यहां लोगों में कुछ नाराजगी भी है इसलिए इस चुनाव में एंटी इनकम्बेंसी का फैक्टर भी काम कर रहा है। भाजपा के उन्हें तीसरी बार टिकट देकर उनके ऊपर भरोसा जताने के पीछे की वजह लोग नही समझ पा रहे। अबतक मुस्लिम वोटो के बटने की वजह से भाजपा के कैंडिडेट यहाँ से जीतता था। लेकिन इस बार इंडिया गठबंधन ने कुशल तिवारी को यहां से टिकट देकर सारे समीकरण ही उलट दिए। कुशल तिवारी पूर्वांचल की बड़ी शख्सियत ब्राह्मणों के शिरोमणि कहे जाने वाले स्वर्गीय हरिशंकर तिवारी के बेटे हैं और पूर्वांचल में हरिशंकर तिवारी का ब्राह्मणों के बीच में बड़ा प्रभाव रहा है । ऐसे में इस बार चुनाव में 26 प्रतिशत मुस्लिम ,11 प्रतिशत ब्राह्मण और करीब 10% यादव मतदाता निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। ब्राह्मण मतदाता जो हमेशा से भाजपा के साथ रहे इस बार कुशल तिवारी के चुनाव लड़ने की वजह से इनका एक बड़ा हिस्सा कुशल तिवारी के पक्ष में खुलकर खड़ा दिखाई दे रहा है और यही समीकरण मौजूदा सांसद भाजपा प्रत्याशी जगदंबिका पाल की जीत का रोड़ा बनता दिख रहा है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगर कोई चमत्कार ना हुआ तो इस बार जगदम्बिका पाल को यह सीट गंवानी पड़ सकती है। शायद इसका एहसास भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को भी है और इसीलिए लगातार भाजपा के बड़े नेताओं सहित मुख्यमंत्री योगी को जिले में कई सभाएं करनी पड़ रही हैं और प्रचार के आखिरी दिन अमित शाह की भी एक विशाल रैली मुख्यालय पर आयोजित की गई।
जगदम्बिका पाल अगर चुनाव हारते हैं तो इसमें एक वजह आजाद समाज पार्टी कांशी राम से चुनाव लड़ रहे पूर्व विधायक अमर सिंह चौधरी भी होंगे। हमेशा से चौधरी यानी कुर्मी बिरादरी जिनका जिले में करीब 6% वोटो पर कब्जा है वह भाजपा के वोट करते रहे हैं लेकिन इस बार कुर्मी बिरादरी का एक बड़ा तबका अमर सिंह चौधरी के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है। अगर ब्राह्मण और कुर्मी मतदाताओं को भाजपा अपने पाले में नही कर पाती तो भाजपा को यह सीट गवानी पड़ सकती है।