Sunday, 09 September 2018 5:02
G.A Siddiqui
अरसद खान
नेपाल में मधेशी अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ने का दावा करने वाले संगठ़न स्वतंत्र मधेश गठबंधन के सैकड़ों पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज होने का क्रम जारी है।। पिछले दो वर्षों में रुपंदेही, सप्तरी, बांके, काठमांडू, रौतहट़ व सिरहा जिले के कुल 562 लोगों पर राष्ट्रद्रोह के मुकदमें हुए हैं। जिसमें संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष डा. सीके राउत भी शामिल हैं। सिर्फ रुपंदेही जिला में ही कुल 49 लोगों पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा किया गया है। जिसमे संगठन के जिला संयोजक भूपेंद्र यादव का भी नाम शामिल है। मामला यूएन व जेनेवा में स्थित विश्व अदालतों तक पहुंच गया है।
पत्रकारों से बातचीत में भूपेंद्र यादव ने बताया कि वह मधेश राष्ट्र की मांग इसलिए कर रहे हैं कि ऐतिहासिक व आंकड़ों के साक्ष्य ये बता रहे हैं कि मधेश क्षेत्र नेपाल का हिस्सा था ही नहीं। वर्ष 1816 व 1860 ई. में ब्रिटिश इस्ट इंडिया कंपनी ने एक समझौते के मधेश की भूमि नेपाली राजा को दान में दी थी। वर्तमान में इसी भू-भाग पर मेंची से लेकर महाकाली तक कुल 24 जिले हैं।
स्वतंत्र मधेश गठबंधन व गैर आवासीय मधेशी संगठन इसी ऐतिहासिक तथ्य के आधार पर मधेश राष्ट्र की मांग कर रहे हैं। जब इस मांग को बुलंद किया गया तो, नेपाल सरकार ने दमनात्मक कार्रवाई शुरु की। राष्ट्र द्रोह के मुकदमें दर्ज करने शुरु किए। यह पूरा मामला संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की कोर्ट़ आफ जस्टिस तथा जेनेवा के UNPO में लंबित है। अभी हाल ही में यूएन की कोर्ट आफ जस्टिस ने नेपाल सरकार को भेजे गये एक स्पष्टीकरण बताओ नोट़िस में भी यह स्पष्ट़ कर दिया है कि नेपाल का मधेशी भू-भाग उसका ऐतिहासिक भाग नहीं है।
भूपेंद्र यादव ने यह भी कहा कि सीके राउत के नेतृत्व में वह मधेश राष्ट्र बनाने की लड़ाई जारी रखेंगे और जनमत संग्रह व ऐतिहासिक तथ्यों के सहयोग से उनका संगठ़न मधेश राष्ट्र बना कर ही रहेंगे।