Saturday, 13 October 2018 12:25 pm
आदित्य बरनवालतिलोई, अमेठी माता कुन्ती के साथ पांडवो ने की थी पूजा अर्चना पांडवो के अज्ञात वास की निशानी है माँ अहोरवा का मन्दिर। ऐतिहासिक व पौराणिक माँ अहोरवा भावानी मन्दिर की स्थापना पांण्डवो ने अज्ञात वास के दौरान की थी द्वापर युग से ही यह मन्दिर लोगों के लिए अस्था व विश्वास का केन्द्र है। नवरात्रि में लोग माँ के दर्शन कर अपनी मुरादे मांगते हैं।
अमेठी जनपद मुख्यालय से लगभग 50 किमी0 दूर पश्चिम छोर पर अहोरवा भवानी कस्बे में माँ अहोरवा भवानी का मन्दिर स्थिति है इतिहासकारों के मुताबिक धनुरधारी वीर युद्धा अर्जुन इस विराट वन में शिकार करने आये थे जहां पर इनको स्वपन में अहेर नामक युवक दिखाई दिया उसी के बताये जाने के बाद पांण्डवों ने माता कुन्ती व द्रोपदी के साथ प्राणप्रष्ठिा कर पूजा अर्चना की। पहले से ही अहेर के नाम से ही जाना जाता था अब बोल चाल की भाषा में धीरे-धीरे इसे अहोरवा भवानी कहां जाने लगा। क्वार व चैत्र नवरात्रि में मां के दरबार में भक्तों की अपार भीड़ उमड़ती है और प्रत्येक सोमवार को भी मां के दरबार में भक्तों द्वारा पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्रि में लोग मां के दरबार में मांगलिक कार्यक्रम भी सम्पन्न कराते हैं तथा प्रत्येक दिन हजारों की संख्या में भक्तगण प्रांगण की फेरी कर मुरादे मांगते हैं।
(साभार नीरज कौशल)