Sunday, 28 July 2019 12:04
G.A Siddiqui
निज़ाम अंसारी
वह भारत का इकलौता लाल था जिसने अपने दम पर इस देश को 2020 तक भारत को आर्थिक महाशक्ति के रूप में खड़ा करना चाहता था और इसके लिए उनका प्रयास आज भी अनुकरणीय है। आज ही के दिन भारत के मिसाइल मैन डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम और पूर्व राष्ट्रपति की जिन्होंने अपनी सांसे शिलॉन्ग में त्यागी थी अंतिम वक़्त में भी उन्होंने जीने की राह पर बात की। इसी संबंध में आज कस्बा शोहरतगढ़ स्थित कई विद्यालय के बच्चों ने अपने मार्ग दर्शक की श्रधांजलि दी।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा प्रान्त मीडिया प्रमुख शिवशक्ति शर्मा के अगुवाई में आज शोहरतगढ में स्थित शिवपति इन्टर कालेज परिसर में पूर्व राष्ट्रपति डां एपीजे अब्दुल कलाम के पूर्णतिथि पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर उनकों याद किया गया। इस दौरान कालेज के उप प्रधानाचार्य विक्रम प्रसाद यादव ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ कलाम साहब के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पूर्व डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को प्यार से मिसाईल मैन भी कहा जाता है। कलाम साहब अपने व्यक्तिगत जीवन में पूरी तरह अनुशासन का पालन करने वालों में से थें। ऐसा कहा जाता है कि वे कुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते थे। उन्होंने कई स्थानों पर उल्लेख किया है कि वे तिरूक्कुरल का भी अनुसरण करते थे। उनके भाषणों में कम से कम एक करल का उल्लेख आवश्य रहता था। राजनीतिक स्तर पर कलाम साहब की चाहत थी कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका का बिस्तार हो भारत ज्यादा से ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाये। भारत को महाशक्ति बनने की दिशा में कदम बढते देखना उनकी दिली इच्छा थी।इसी क्रम में अभाविप के तहसील प्रमुख व शिक्षक डॉ हेमंत राज उपाध्याय ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि डॉ कलाम साहब अपने हाथों से कई प्रेरणास्पद पुस्तकों की भी रचना की थी और वे तकनीक को भारत के जनसाधारण तक पहुंचाने की हमेशा वकालत करते रहते थें। बच्चों और युवाओं के बीच डॉ कलाम अत्यधिक लोकप्रिय थें। वह भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के कुलपति भी रहें। वे हमेशा शाकाहारी रहें। आज के ही दिन 27 जुलाई 2015 की शाम अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में 'रहने योग्य ग्रह' पर एक व्याख्यान दे रहे थे। जब उन्हें दिल का दौड़ा पडा तो वे बेहोश होकर गिर पड़े। और तुंरत उन्हें बेथानी अस्पताल में आईसीयू में लाया गया। और दो घंटे बाद उनकी मृत्यु हो गई थी। भारत के राष्ट्रीय पुनःनिर्माण की कड़ी थें डां कलाम। इस दौरान शिक्षक अरूण कुमार शुक्ला, रामविलास यादव, वैजनाथ चौरसिया, राजेश कुमार, रामसागर, शिवपूजन, मकबूल आलम, विरेन्द्र कुमार, रामप्रताप सिंह, विश्वनाथ, छात्रा श्रद्धा सहानी, बबिता चौधरी, मंशा गौड़, मिथिलेश पाण्डेय, अनन्या जयसवाल, छात्र ह्देश शुक्ला, अश्विनी श्रीवास्तव, नीलेश चतुर्वेदी, आर्यन त्रिपाठी, अनिमेष सिंह, वीरू उपाध्याय, अभय देववंशी, सहयोग रौनियार आदि छात्र उपस्थित रहें।