Tuesday, 17 December 2019 1:20
G.A Siddiqui
आज़मगढ़ 17 दिसंबर 2019। जामिआ और अलीगढ़ में विवादित नागरिकता अधिनियम के विरोध प्रदर्शनक कर रहे छात्रों के पुलिसिया दमन इस संविधान विरोधी अधिनियम के वापस लिए जाने के खिलाफ शिबली नेशनल कालेज के छात्र नेताओं ने जन मार्च का आयोजन किया जिसमें बड़ी संख्या में जनता ने भाग लिया। छा़त्र नेता शानेआलम बेग ने कहा कि जिस तरह से जामिआ और अलीगढ़ में आंदोलन को बदनाम करने की साज़िश की गई और छात्रों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया वह निंदनीय है। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम विवादित और विभाजनकारी है और इसके वापस लिए जाने तक हम इसका विरोध करते रहेंगे। हमारे पुरखों आज़ाद भारत में सभी धर्म–जाति के लोगों के सहअस्तित्व के लिए जो कुर्बानियां दी थीं यह अधिनियम उन विचारों को ही तार–तार करता है। शिब्ली कालेज के पूर्व अघ्यक्ष पप्पू कुमार यादव ने कहा कि विदेशी घुसपैठ जैसे राष्ट्रीय अखंडता से जुड़े मुद्दे पर भी साम्प्रदायिकता का खेल खेल रही है। जब कई समूह अंग्रेज़ों की मुखबिरी कर रहे थे तब मुसलमानों ने इस देश से अंग्रेज़ों को निकाल बाहर करने के लिए बलिदान दिया और जेलों में कैद की सज़ा भुगती। उन्होंने कहा कि वोट बैंक की ओछी राजनीति के लिए सरकार देश की अखंडता से जुड़े संवेदनशील मुद्दे पर जनता को हिंदू–मुस्लिम में बांटना चाहती है लेकिन हम भारत के लोग खासकर छात्र नवजवान ऐसा नहीं होने देगे। रिहाई मंच नेता विनोद यादव ने कहा कि शिबली कॉलेज के छात्रों ने देश भर में चल रहे छात्र आंदोलनों के दमन के खिलाफ केवल आवाज़ ही नहीं उठाई बल्कि आज़मगढ़ में छात्र शक्ति की मज़बूती का आभास भी करवाया। उन्होंने कहा कि इस जनमार्च में जिले के कई राजनीतिक दलों के नेताओं की उपस्थिति यह साबित करती है सार्वजनिक जीवन में जन भावनाओं का महत्व क्या होता है और भाजपा सरकार इस चीज़ को जितनी जल्दी समझ ले, देश और समाज के लिए उतना बेहतर होगा।