Tuesday, 25 February 2020 5:56
G.A Siddiqui
कपिल मिश्रा के जरिए भाजपा दिल्ली में कर रही दंगे की सियासत
लखनऊ, 25 फरवरी 2020। रिहाई मंच ने दिल्ली स्थित मौजपुर में आरक्षण और सीएए⁄एनआरसी को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं के खिलाफ चुनाव हार चुके भाजपा नेता कपिल मिश्रा द्वारा पत्थरबाज़ी करने के लिए उकसाने और अलीगढ़ में पुलिस द्वारा महिलाओं पर लाठीचार्ज और आंसू गैस छोड़ने की घटना को राज्य प्रायोजित हिंसा करार दिया।
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने सीएए के समर्थन में मौजपुर रेडलाइट पर प्रदर्शन करने के लिए लोगों को उकसाया जो कि मौजपुर जाफराबाद में चल रहे सीएए⁄एनआरसी खिलाफ प्रदर्शन से बहुत करीब है। कपिल मिश्रा ने इस सम्बंध में ट्वीट भी किया था। उसके बावजूद दिल्ली पुलिस ने स्थिति को संभालने की कोई कोशिश नहीं की। इसमें दिल्ली पुलिस भूमिका भी संदिग्ध है। क्योंकि घटना स्थल की वायरल वीडियो में सीएए समर्थकों को पुलिस के बीच से पत्थरबाज़ी करते देखा जा सकता है। दिल्ली पुलिस की पक्षपातपूर्ण भूमिका के कारण की यह आग फैलती जा रही है। दिल्ली के ही भजनपुरा में पथराव और आगज़नी की खबर है जहां पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े हैं। यहां भी पुलिस के सामने युवक द्वारा गोली चलाने की तस्वीर सामने आ रही हैं।
इसके अलावा ऐसे फुटेज भी सामने आए हैं जिसमें दिल्ली पुलिस या उसके साथ संदिग्ध लोगों को सेना की वर्दी में देखा जा सकता है। वहीं सेना के एडीजी ने वहां अपने जवानों की मौजूदगी से इनकार किया है और जांच कर कार्रवाई करने को कहा है। उन्होंने कहा कि इससे पहले जामिआ में पुलिस हमले के समय संघ से जुड़े लोगों को पुलिस की वर्दी में देखा गया था। उत्तर प्रदेश में भी पुलिस के साथ संघ के लोगों का प्रदर्शनकारियों पर पत्थरबाज़ी करते वीडिया वायरल हुआ था। उन्होंने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है। इसकी सख्ती से जांच होनी चाहिए कि दिल्ली पुलिस या जिन लोगों ने भी सेना की वर्दी पहन रखी थी उनको वह कहां से मिली और दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए।
मंच अध्यक्ष ने लखनऊ घंटाघर पर विरोध प्रदर्शन करने वाली बीए अंतिम वर्ष की छात्रा तय्यबा फातिमा की बारिश में भीग जाने से होने वाली मौत पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को टेंट नहीं लगाने दिया और यहां तक एक बार वह उनका खाना और कंबल भी छीन ले गई थी। उत्तर प्रदेश पुलिस ने अमानवीयता न करते हुए टेंट लगाने दिया होता तो शायद हमें फातिमा को नहीं खोना पड़ता। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस घटना से सबक सीखने के बजाए अपनी अमानवीय हरकतें जारी रखी हैं। उसने बारिश में अलीगढ़ में प्रदर्शन कर रही महिलाओं को ज़मीन पर प्लास्टिक नहीं बिछाने दिया जिसके खिलाफ महिलाएं उपरकोट में पुलिस चौकी के सामने धरने पर बैठ गईं। पुलिस ने बल प्रयोग किया, लाठियां भाजीं, आंसू गैस के गोले छोड़े। पुलिसिया पक्षपात से उत्साहित असमाजिक तत्वों ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग भी की जिससे एक व्यक्ति को पेट में गोली लगी है।