Sunday, 29 January 2017 08:30 PM
Nawaz Shearwani
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में स होने वाले विधानसभा चुनाव में इस बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के प्रदेश महासचिव सैय्यद रफत रिज़वी ने प्रदेश की 35 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के उमीदवार ऐलान किया है। एमआईएम के इस ऐलान ने सपा, बसपा और भाजपा की मुश्किलों को बढ़ा दिया उत्तर प्रदेश में एमआईएम दलित और मुस्लिम वोटों पर नजर रख रही है और दोनों वोटों को अपनी ओर करना की योजना बना रही है। फैजाबाद के बीकापुर की विधानसभा सीट पर फरवरी में हुए उपचुनाव में पार्टी को मिले वोटो से पार्टी के हौसले बुलंद हैं। पार्टी के उम्मीदवार प्रदीप कोरी ने चौथा स्थान प्राप्त किया और उन्हें भाजपा से सिर्फ 100 वोट कम मिले।
पूर्वांचल प्रभारी एवं प्रत्याशी विधानसभा शोहरतगढ़ हाजी अली अहमद ने बताया कि बड़ी संख्या में मुस्लिम युवा, दलित और ओबीसी वर्ग के लोग पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक है। उन्होंने बताया कि हम उन लोगों से मिल रहे हैं जो पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। चुने गये उम्मीदवारों की लिस्ट हम पार्टी अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी को भेजेंगे। जिसपर आखिरी फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष करेंगे। और कहा कि कुछ हमारी दलित सीटें ऐसी हैं जो मुस्लिम बाहुल्य है हर हाल में वो सीट जीतेंगे
हम जितनी सीटें लड़ रहे हैं इंशाअल्लाह उसको AIMIM जीतेगी AIMIM ने सवर्ण वर्ग को भी टिकट दिया है जिससे यह वर्ग भी हमारे साथ जुड़ रहा है ।
इस बार विधानसभा में मजलिस की आवाज़ गूंजेगी और उन सभी घटनाओं को विधानसभा में उठायेगी और जिन लोगों ने भी मुसलमानों, दलितों को नुक्सान पहुचाने और मीनारों को तोड़ने पाक किताब को फूंकने और मिल्लत के बेटियों के साथ खिलवाड़ करने वाले लोगों को सजा दिलाने का काम करेगी। मुमकिन है कि पार्टी प्रदेश में कैसा भी प्रदर्शन रहे लेकिन वह बसपा और सपा के वोटों का समीकरण जरूर बिगाड़ सकती है। पार्टी प्रदेश में सपा के मुस्लिम वोटों के दूर होने को अपनी ओर मोड़ना चाहती है तो बसपा का दलित वोट बैंक भी पार्टी से कुछ हद तक दूर हो रहा है। लिहाजा पार्टी यूपी में दलित और मुस्लिम वोटों के समीकरण को अपनी ओर मोड़ना चाहती है।
एआईएमआईएम उत्तर प्रदेश के अधिकतर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की फिराक में है। ऐसे में यह तो तय है कि सभी सीटों पर वोटों का गणित बदल जाएगा क्योंकि वर्तमान में प्रदेश में 110 ऐसी सीट हैं, जहां मुस्लिम मतदाताओं की वोट प्रतिशत 30 से 39 प्रतिशत के बीच है। जबकि 44 सीट ऐसी हैं जहां ये वोट प्रतिशत बढ़कर 40 से 49 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। 11 सीट ऐसी है जहां मुस्लिम मतदाता 50 से 65 प्रतिशत तक हैं।
एआईएमआईएम की सक्रियता हिला सकती है अखिलेश की सत्ता
ऑल इण्डिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रदेश में सक्रिय होने के बाद सबसे अधिक नुकसान सपा को होता दिख रहा है। अब तक मुस्लिम मतदाता कांग्रेस अथवा सपा के पाले में नजर आते थे, लेकिन जिस तरह से ओवैसी की पार्टी सक्रिय हुई है और लोग उससे जुड़ रहे हैं, उससे सपा को सबसे अधिक नुकसान होता दिख रहा है। बहरहाल आने वाले दिनों तस्वीर साफ दिखाई देगी।