Monday, 02 November 2020 4.27pn
Nawaz Shearwani
दीन-ए-इस्लाम के महान प्रचारक थे हज़रत सैयदना इमाम मालिक
गोरखपुर। चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर व सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाजार में रविवार को हज़रत सैयदना इमाम मालिक बिन अनस अलैहिर्रहमां, हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर कलियरी अलैहिर्रहमां, हज़रत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी अलैहिर्रहमां का उर्स-ए-पाक कुरआन ख्वानी, फातिहा ख्वानी व दुआ ख्वानी करके मनाया गया।
उर्स में चिश्तिया मस्जिद के इमाम हाफिज महमूद रज़ा कादरी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम व पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की शिक्षाओं के महान प्रचारक हज़रत सैयदना इमाम मालिक बिन अनस, हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर, हज़रत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी थे। दीन-ए-इस्लाम व शांति की शिक्षा तीनों के जीवन का मकसद थी। सृष्टि के निर्माता अल्लाह से मिलाना और इंसान को इंसानियत के बारे में बताना और चलाना उनका विशेष कार्य था। उक्त तीनों बुजुर्ग अल्लाह के महबूब बंदे थे, उन्होंने दीन-ए-इस्लाम का पैगाम अवाम तक पहुंचाया। पूरी जिंदगी शरीयत की पाबंदी की।
सब्जपोश मस्जिद के इमाम हाफिज रहमत अली निज़ामी ने कहा कि हज़रत सैयदना इमाम मालिक बिन अनस का विसाल 14 रबीउल अव्वल 179 हिजरी में हुआ। मदीना शरीफ में मजार है। हज़रत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर कलियरी का विसाल 13 रबीउल अव्वल 690 हिजरी में हुआ। आपका मजार कलियर, रुड़की (उत्तराखंड) में है। हज़रत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी का विसाल 14 रबीउल अव्वल 633 हिजरी में हुआ। मजार महरौली (नई दिल्ली) में हैं। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्को मिल्लत के लिए दुआ की गई। इस मौके पर मो. सैफ अली, समीर अली, महबूब आलम, शारिक अली, इमरान अली, इमाम हसन, फैजान, फुजैल, मुख्तार खान, तहसीन आलम, नेहाल आलम, इरफान खान आदि मौजूद रहे।