Sunday, 26 September 2021 7:05
G.A Siddiqui
लखनऊ 26 सितंबर 2021. रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने इस बार अपनी नाकामियों से जनता का ध्यान हटाने और अपनी साम्प्रदायिक राजनीति को हवा देने के लिए एक नया षड्यंत्र रचा है जिसके तहत प्रतिष्ठित मौलाना कलीम सिद्दीकी जैसे मुस्लिम विद्वानों को धर्मांतरण के नाम पर टारगेट गया है. 2013 मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा के बाद हिन्दू-मुस्लिम में आई दूरी कम होती नजर आ रही है . 5 सितंबर 2021 को किसान महापंचायत मंच से सांप्रदायिकता के खिलाफ नारे लगे, हिन्दू-मुस्लिम मोहब्बत और सौहार्द के नारे लगे और भाजपा के नेताओं और मंत्रियों तक को गांवों से खदेड़ा जाने लगा जिससे मौजूदा सरकार बौखला गयी और ऐसे मुद्दे की तलाश में लग गई जिससे ध्रुवीकरण आसानी से हो सके. हिंदू-मुस्लिम के बीच फिर से नफरत की खाई को हवा दी जा सके और सरकार की नाकामियों से जनता का ध्यान हटाया जा सके.
मौलाना कलीम सिद्दीकी मुजफ्फरनगर या पश्चिम उत्तर प्रदेश के नहीं बल्कि दुनिया भर में मुस्लिम विद्वान के रूप में जाने जाते हैं. इसलिए दुनिया भर में उनके प्रोग्राम लगे रहते हैं. हर मंच से मौलाना कलीम आपसी सौहार्द और भाईचारे की बात करते हैं. मौलाना कलीम के बाद उनके करीबी हाफ़िज़ इदरीस को भी एटीएस उठाकर लखनऊ ले आई और उनसे भी पूछताछ कर रही है ऐसी सूचनाएं हैं. हाफिज़ इदरीस के परिजनों ने बताया कि हाफिज़ इदरीस बुधवार रात स्कूटर लेकर फुलत गांव से खतौली स्थित अपने आवास पर जाने के लिए निकले थे और इसके बाद वो न तो फुलत पहुंचे न अपने खतौली के आवास पर पहुँच पाए. हाफ़िज़ इदरीस के परिवार ने रतनपूरी थाना में उनकी गुमशुदगी की रपट लिखाने की कोशिश की पर पुलिस ने उनकी तहरीर लेने और कोई भी जानकारी देने से इंकार कर दिया. मौलाना कलीम सिद्दीकी और हाफिज़ इदरीस लगतार सौहार्द के लिए काम कर रहे थे. हाफिज़ इदरीस खतौली व्यापार मंडल के उपाध्यक्ष भी हैं.
एटीएस के प्रेस नोट को देखने से ऐसा लगता है कि उन्होंने अपने प्रेस नोट में संविधान के अनुच्छेद 25 को तो पूरी तरह दरकिनार किया है. साथ ही एक भी ऐसा ठोस सुबूत पेश नहीं कर पायी जिससे उनके द्वारा लगाया गया एक भी आरोप सिद्ध हो सके. बल्कि स्पेशल कोर्ट ने पुलिस कस्टडी में भेजने की मांग को भी खारिज कर दिया था. एटीएस और उप्र पुलिस की अरेस्ट प्रक्रिया के पालन न करने से आसपास के इलाकों में भय का माहौल बना हुआ है.
फुलत गाँव और खतौली के लोगों का साफ़ कहना है कि मौलाना हिन्दू-मुसलमान सबके लिए हमेशा खड़े रहते हैं, लोगों कि मदद दिल खोलकर करते हैं. उनको गिरफ्तार कर माहौल खराब करने कि कोशिश कि गयी है क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा कि ज़मीन खिसक गयी है. मौलाना कि गिरफ़्तारी पूर्ण रूप से राजनीतक षड्यंत्र का हिस्सा है.
रिहाई मंच की मांग है कि एटीएस और पुलिस पूरी तरह से संवैधानिक तरीकों का पालन करे. हम सरकार से भी मांग करते हैं कि मौलाना कलीम सिद्दीकी और हाफिज़ इदरीस को जल्द रिहा किया जाए और उनके ऊपर लगाए हुए फर्जी इलज़ाम वापस लिए जाएँ.