Thursday, 13 July 2017 07:00 PM
Nawaz Shearwani
गोरखपुर : कपड़ा वस्त्र विक्रेताओं के बाद अब ईट निर्माता भी जीएसटी के विरोध में मुखर हो गए हैं। जीएसटी के प्रावधान को अपने व्यवसाय के लिए वह अभिशाप बता रहे हैं। मंगलवार को ईट निर्माता समिति के पदाधिकारियों ने संवाददाताओं से बातचीत में जीएसटी को लेकर अपना आक्रोश साझा किया और उनके व्यवसाय को इसके प्रावधान से बाहर करने की मांग उठाई।
मंगलवार को गैस गोदाम गली स्थित एक होटल में समिति के उपाध्यक्ष अशोक जायसवाल, महामंत्री रणजीत शाही, सहमंत्री राजेश वलानी और कोषाध्यक्ष अर्जुन वलानी ने संयुक्त रूप से कहा कि पिछले 28 साल से समाधान योजना के तहत भट्ठा मालिक प्रतिवर्ष सरकार को एडवांस में पाच से आठ लाख रुपये का टैक्स देते रहे हैं। इस क्रम में वह 30 सितंबर 2017 तक का टैक्स पहले ही जमा कर चुके हैं। ऐसे में उन पर जीएसटी के तहत फिर से टैक्स लादना कतई उचित नहीं है। उन्होंने बताया कि जीएसटी के तहत उनके व्यवसाय पर पांच प्रतिशत टैक्स रखा गया है लेकिन उसमें इतनी जटिलताएं हैं कि सभी ईट निर्माता काफी परेशान हैं। ईट निर्माताओं ने कहा कि ज्यादातर ईट भट्ठे ग्रामीण इलाकों में हैं, जहां बिजली और इंटरनेट सुविधा नहीं होती, ऐसे में ईट की बिक्री का बिल वह मौके पर निकालना उनके लिए संभव नहीं। जबकि जीएसटी में इसका सख्त प्रावधान है। उन्होंने चेतावनी दी कि 1988 से चली आ रही एकमुश्त समाधान योजना को फिर से लागू किया जाए, वरना ईट निर्माता सड़क पर उतरकर आंदोलन को बाध्य होंगे।