नई दिल्ली, तंज़ीम उलामा ए इस्लाम के बैनर तले देश भर से आए हज़ारों मुसलमानों ने समान नागरिक संहिता के विरोध में पहले जंतर मंतर पर ज़ोरदार प्रदर्शन किया और इसके बाद संसद तक कूच के लिए जैसे ही निकले, दिल्ली पुलिस ने उन्हें रोक दिया। बाद में दिल्ली पुलिस के माध्यम से तंज़ीम के अध्यक्ष मौलाना मुफ़्ती अशफ़ाक़ हुसैन क़ादरी ने भारत सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा जिसमें समान नागरिक संहिता के प्रस्ताव को वापस लेने समेत मुस्लिम समुदाय से जुड़ी अन्य मांगें रखीं जिसमें जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से लापता छात्र नजीब की सुरक्षित वापसी, उसके साथ ज़ुल्म करने वाले एबीवीपी के दोषी छात्रों की गिरफ़्तारी और भारत में इज़राइल के राष्ट्रपति रिवलिन रिविन को वापस भेजने एवं फ़िलस्तीन को आज़ाद मुल्क मानने की माँग शामिल थी।
तंज़ीम उलामा ए इस्लाम के साथ भारत के क़रीब एक लाख सुन्नी सूफ़ी उलेमा और क़रीब दस लाख आम सूफ़ीजन जुड़ा हुआ है। संगठन के बैनर तले क़रीब २० अन्य संगठन भी साथ आए और दिल्ली के जंतर मंतर पर समान नागरिक संहिता के विरुद्ध ज़ोरदार प्रदर्शन किया। तंज़ीम क़ानून आयोग की तरफ़ से ली जाने वाली राय को इस्लाम के ख़िलाफ़ साज़िश बताते हुए इसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एजेंडे पर देश को धकेलने की नीयत मानता है। जंतर मंतर पर जुटे हज़ारों सुन्नी सूफ़ी मुसलमानों ने हालिया लॉ कमीशन की उस राय का विरोध किया जिसमें पूछा गया है कि क्या तीन बार में एक तलाक़ को समाप्त कर दिया जाए। भारत के सुन्नी उलेमा की सबसे बड़ी तंज़ीम ऑल इंडिया तंज़ीम उलामा-ए-इस्लाम,भारत की प्रतिष्ठित रज़ा एकेडमी और भारत के सबसे बड़े मुस्लिम छात्र संगठन मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया समेत २० सुन्नी संगठनों के संयुक्त प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों और वक्ताओं ने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाज़ी की। प्रदर्शनकारियों की माँग थी कि लॉ कमीशन ने ये सवाल पूछ कर मुसलमानों के निजी क़ानून में दख़ल देने की कोशिश की है। ऐन उत्तर प्रदेश के चुनाव से पहले इस पहल पर वक्ताओं का मानना है कि मोदी सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इशारे पर पूरे देश का साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कर उत्तर प्रदेश चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को लाभ पहुँचाने की कोशिश कर रही है, जिसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।
शरीअत नहीं बदलेगी, राजनीति बदल देंगे– मुफ़्ती अशफ़ाक़
भारत के सबसे बड़े मुस्लिम उलेमा संगठन ऑल इंडिया तज़ीम उलामा-ए-इस्लाम के अध्यक्ष मौलाना मुफ़्ती अशफ़ाक़ हुसैन क़ादरी ने कहाकि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार शरीअत में यदि किसी भी प्रकार की दख़ल देगी तो उसे मुँहतोड़ जवाब दिया जाएगा। मुफ़्ती अशफ़ाक़ ने कहाकि मोदी सरकार की इस पहल का उत्तर प्रदेश के चुनाव में राज्य की 25 फ़ीसदी मुसलमान और 30 फ़ीसदी दलित भारतीय जनता पार्टी को बेहतर जवाब देंगे। समान नागरिक संहिता को लागू करने की कोशिशों का आरोप लगाते हुए मुफ़्ती अशफ़ाक़ ने कहाकि उत्तर प्रदेश के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को इसका जवाब दिया जाएगा और हम यह मुद्दा उन बाक़ी चार राज्यों में भी ले जाएंगे जहाँ चुनाव होने हैं। अगर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लगता है कि वह मुसलमानों के जज्बात भड़का कर अपने वोट बैंक को साधने में लगा है तो मुसलमान भी अपनी शरीअत में संघी साज़िश को बर्दाश्त नहीं करेगा और क़ानून सम्मत संवैधानिक अधिकारों का उपयोग करते हुए इस चुनाव में बीजेपी को माकूल जवाब देगा। मुफ़्ती अशफ़ाक़ ने कहाकि जब हर सम्प्रदाय और मज़हब के लोगों को अपनी निजी संहिताओं, पुस्तकों, आस्था, विश्वास और परम्परा के अनुसार नागरिक क़ानून मानने की छूट है तो वह सिर्फ़ मुसलमानों के तलाक़ के मसले पर ही पीछे क्यों पड़ी है? मुफ़्ती अशफ़ाक़ ने भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता मोहन भागवत को आड़े हाथों लेते हुए कहाकि इन लोगों को सिर्फ़ देश को साम्प्रदायिक स्तर पर बाँटकर वोट लेने की बीमारी है, जिसका इलाज 2017 के उत्त्तर प्रदेश की जनता कर देगी। उन्होंने कहाकि किसी भी धर्म, सम्प्रदाय और मत के मानने वाले लोग अब आपस में बँटवारा नहीं चाहते और किसी भी मज़हब के निजी क़ानूनों में दख़ल को भी लोग पसंद नहीं करते। मुफ़्ती अशफ़ाक ने कहाकि तीन तलाक़ या समान नागरिक संहिता के बहाने देश के मुसलमान साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण नहीं होने दिया जाएगा।
वहाबी और नक़ली सूफ़ी भाजपा की मदद नहीं कर पाएंगे– मौलाना शहाबुद्दीन रजवी
ऑल इंडिया जमात रज़ा ए मुस्तफ़ा बरेली के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शाहबुद्दीन रजवी ने कहाकि नरेन्द्र मोदी सरकार की दावत खाने वाले वहाबियों और नक़ली सूफ़ियों में राजनीतिक रूप से कोई अंतर नहीं है। दोनों बीजेपी की दलाली कर मुसलमानों को बाँटने में लगे हैं लेकिन उत्तर प्रदेश के चुनाव में यह दाँव नहीं चलेगा। उन्होंने कहाकि भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस से उपकृत तथाकथित मुस्लिम चेहरों की चुप्पी बताती है कि उन्होंने केन्द्र सरकार से समाज का सौदा कर लिया है लेकिन जिस प्रकार हर बार मुस्लिम समाज ने अपनी राजनीतिक समझ का परिचय दिया है, वह उत्तर प्रदेश के चुनाव में उसी समझदारी का परिचय देंगे। उन्होंने कहाकि आरएसएस के मुस्लिम राष्ट्रीय मंच में घुसपैठ कर चुके वहाबी ही नहीं हमें उन नक़ली सूफ़ी नेताओं से भी सतर्क रहने की आवश्यकता है जो मोदी के साथ दावत उड़ाते हैं और यह भरम फैलाते हैं कि समाज उनके इशारों पर वोट देगा। उन्होंने कहाकि मुसलमानों के लिए इस कठिन समय में नक़ली सूफ़ियों को बेनक़ाब करने, बीजेपी के पैसों से आयोजित उनकी रैलियों और जनाधार विहीन वोटकाटू उम्मीदवारों का बायकॉट करने की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि मोदी और उनके तथाकथित मुस्लिम साथियों के बीच फिक्स मैच चल रहा है जो यह समझते हैं कि समाज को बाँटकर बीजेपी को उत्तर प्रदेश की सत्ता में बैठा देंगे लेकिन जनता ख़ूब समझदार है और सूफ़ी तो राजनीतिक रूप से बहुत जागरूक हैं। सूफ़ी अपने प्रत्यक्ष विरोधी ही नहीं बल्कि नक़ली सूफ़ी को भी बेहतर पहचानता है।
सुन्नी निजी क़ानूनों की सुरक्षा के लिए आगे आएं– नक़्शबंदी
दरबार अहले सुन्नत के प्रमुख सैयद जावेद नक़्शबंदी ने कहाकि आज दिल्ली समेत भारत के विभिन्न हिस्सों से आई सु्न्नी अवाम निजी क़ानूनों की सुरक्षा के लिए कार्य कर रहे तंज़ीम उलामा-ए-इस्लाम और दरबार अहले सुन्नत की कोशिशों को ताक़त देने के लिए जमा हुई हैं। नक़्शबंदी ने कहाकि यह आवश्यक है कि मुसलमान अपने अधिकारों के लिए आगे आएँ और तंज़ीम के हाथ मज़बूत करें। उन्होंने कहाकि चुनाव में धर्म के इस्तेमाल की भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस को बीमारी है लेकिन अब उन्हें परेशान होने की आवश्यकता नहीं क्योंकि सभी वर्ग एकराय होकर बीजेपी को हराने जा रहे हैं। उन्होंने लोगों से संयम रखने और लोकतांत्रिक तरीक़े से विरोध जताने की राय दी।
शरीअत में बदलाव की गुंजाइश नहीं– कारी सग़ीर
तंजीम के दिल्ली सचिव कारी सग़ीर ने कहाकि भारतीय जनता पार्टी जब से सत्ता में आई है तब से वह देश को साम्प्रदायिक आधार पर बाँटना चाहती है जबकि उसकी इस कोशिश को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। कारी सग़ीर ने कहाकि आरएसएस देश में एक क़ानून के बहाने देश के मुसलमानों का ही नहीं बल्कि दलितों, आदिवासियों, जैन, ईसाइयों, सिखों और पारसियों का शोषण कर पुरोहितवाद को स्थापित करना चाहती है जिसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। कारी सग़ीर ने कहाकि मुसलमानों के निजी क़ानून में दख़ल देने का किसी को कोई अधिकार नहीं है और भारत के मुसलमान संविधान प्रदत्त अधिकारों से संरक्षित हैं।
इस्लामोफोबिया के शिकार है मोदी– सय्यद ज़ुल्फ़िकार आलम
तंजीम के सचिव सय्यद ज़ुल्फ़िकार आलम ने कहाकि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में मुस्लिम बहनों के भले के नाम पर भारत में बहुसंख्यक हनफ़ी मुसलमानों की भावनाओं से खेलने की कोशिश की है। उन्होंने कहाकि दरअसल नरेन्द्र मोदी इस्लामोफोबिया से ग्रस्त हैं और समझते हैं कि वह जिस कार्ड से केन्द्र में सत्ता पर क़ाबिज़ हुए थे, वही फ़ॉर्मूला उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में काम कर जाएगा, लेकिन वह ग़लत सोच रहे हैं। मोदी सरकार की इस पहल का उत्तर प्रदेश के चुनाव में राज्य की 25 फ़ीसदी मुसलमान और 30 फ़ीसदी दलित भारतीय जनता पार्टी को बेहतर जवाब देंगे।
शरीअत में औरत को ज़्यादा हक़– हाजी शाह मुहम्मद
राबिया बसरिया गर्ल्स कॉलेज के हाजी शाह मुहम्मद ने कहाकि आज का तथाकथित सभ्य समाज जिस तलाक़ या हलाला पर इस्लाम की आलोचना कर रहा है उन्हें यह अक़ल नहीं है कि दुनिया में सबसे पहले विवाह बाद भी विच्छेद का हक़ इस्लाम ने दिया है। दुनिया के सभी क़ानूनों और समाज में तलाक़ का विचार इस्लाम की देन है। अगर शादी मर्द या औरत दोनों के लिए जहन्नम बन जाए या महिला पर पति के ज़ुल्म बेइतंहा हो जाएं तो तलाक़ बेहतर विकल्प है।
नजीब की सुरक्षित रिहाई आवश्यक– एमएसओ
मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के लापता छात्र नजीब की तलाश की माँग को दोहराते हुए कहाकि नजीब की प्रताड़ना के लिए ज़िम्मेदार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् को तुरंत गिरफ़्तार कर उनसे सख़्ती से पूछा जाना चाहिए। एक महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद भी नजीब को पता नहीं लगा पाने वाले पुलिस दोषियों को बचा रही है। नजीब के लिए नारे लगा रहे संगठन का कहना था कि इस घटना के बाद से देश की सभी विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले मुस्लिम छात्र छात्राएँ बहुत घबराए हुए हैं और अपनी सुरक्षा के लिए चिंतित हैं, जिसकी ज़िम्मेदारी केन्द्रीय सरकार को लेना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन मदरसा सक़लैन दिल्ली के कारी अब्दुल वाहिद ने किया
रिवलिन गो बैक, फ़िलस्तीन ज़िन्दाबाद– शुजात क़ादरी
मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव शुजात अली का़दरी ने कहाकि हम भारत के सभी वर्ग भारत में इज़राइल के राष्ट्रपति रुवेन रिव्लिन की यात्रा का विरोध करते हैं और उनकी अविलम्ब वापसी की माँग करते हैं। क़ादरी ने कहाकि जबकि फ़िलस्तीन पर बेंजामिन नेतान्याहू की तानाशाही सरकार ने ज़ुल्म की इंतेहा कर दी है, ऐसे में भारत अगर रिविन का स्वागत करता है तो यह भारत के फ़िलस्तीन और फ़िलस्तिनियों के लिए अपने पुरातन स्टैंड के विरुद्ध है। क़ादरी और उनके संगठन ने रिविन गो बैक के नारे लगाते हुए फ़िलस्तीन के झंडे लहराए और महात्मा गाँधी के विचार के हॉर्डिंग लहराए जिसमें बापू ने कहा था कि फ़िलस्तीन फ़िलस्तिनियों का है। बाद में एमएसओ ने तंज़ीम उलामा ए इ्स्लाम के सरकार के दिए संयुक्त ज्ञापन में माँग की कि भारत के संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थाई प्रतिनिधि के माध्यम से भारत को रिविन के बायकॉट और स्वतंत्र फ़िलस्तीन की माँग को दोहराना चाहिए।
झलकियाँ
दब गए बाक़ी प्रदर्शन
यहाँ तंज़ीम के भारी प्रदर्शन की वजह से जंतर मंतर पर चल रहे बाक़ी प्रदर्शन फीके पड़ गए। बाद में बाक़ी सभी प्रदर्शनकारियों के आए समर्थक भी तंज़ीम उलामा ए इस्लाम और मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया के प्रदर्शन की तरफ़ मुड़ गए।
महिलाओं ने भी ध्यान से सुना
तंजी़म के वक्ता जब अपनी इस्लाम में महिलाओं की स्थिति पर बोल रहे थे, जंतर मंतर पर टहल रही कई समुदाय की महिलाएँ ठिठक गईं और उलेमा को सुना। यह महिलाएँ समझना चाहती थीं कि इस्लाम में निकाह, निजी क़ानून और सम्पत्ति में महिलाओं की स्थिति क्या है।
फ़िलस्तीन के झंडे से पट गया जंतर मंतर
तंज़ीम के साथ प्र्दर्शन में शरीक़ मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया यानी एमएसओ के समर्थकों ने जब फ़िलस्तीन के समर्थन के साथ फ़िलस्तीन के झंडे लहराए, पूरा जंतर मंतर पर सिर्फ़ फ़िलस्तीन ही नज़र आ रहा था। युवा जहाँ रिवलिन रिविन की भारत यात्रा के ख़िलाफ़ थे, वहीं दूसरी तरफ़ वह स्वतंत्र फ़िलस्तीन राष्ट्र की माँग को दोहरा रहे थे।