नेपाल, बंगाल, बिहार तक फैलेगी गोरखपुर के इल्म की खुशबू
गोरखपुर। शहर के तीन अनुदानित मदरसों जामिया रजविया मेराजुल उलूम चिलमापुर, मदरसा जियाउल उलूम पुराना गोरखपुर गोरखनाथ, मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया इमामबाड़ा दीवान बाजार में काफी चहल पहल है। उस्ताद की तरबियत व शार्गिद की मेहनत रंग लाने वाली है। उक्त मदरसों के करीब 77 छात्र मौलाना, हाफिज-ए-कुरआन व कारी बनकर निकलने वाले हैं। गोरखपुर के इन मदरसों में तालीम हासिल करने वालों में पड़ोसी राष्ट्र नेपाल, बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और गोरखपुर मंडल के जिला गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज के छात्र शामिल हैं।
मदरसा जामिया रजविया मेराजुल उलूम चिलमापुर में जलसा-ए-दस्तारबंदी कार्यक्रम 14 अप्रैल को रात 8:30 बजे से है। जिसमें मौलाना (3), हाफिज (4) व कारी (23) बने 30 छात्रों को सिर पर दस्तार (पगड़ी) बांध कर सनद दी जायेगी। यहां पढ़ने वाले 7 छात्र नेपाल, बिहार के 14, बंगाल व छत्तीसगढ़ के 1-1 छात्र शामिल हैं।
मदरसा जियाउल उलूम पुराना गोरखपुर गोरखनाथ में 62वां सालाना जलसा-ए-दस्तारबंदी कार्यक्रम 15 अप्रैल को रात 9 बजे से रसूलपुर जामा मस्जिद के पास होगा। जिसमें 36 बच्चों को दस्तारबंदी व सनद पेश की जायेगी। जिसमें हाफिज बने 24 व मौलाना बने 12 छात्र शामिल है। जिसमें बिहार के 9, बंगाल के 2, झारखंड का 1 छात्र है। मदरसे में कुशीनगर का 14 वर्षीय मो. मेराज सबसे छोटा हाफिज है। यह मदरसा 250 पोस्टरों के साथ मतदान में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने की अपील भी कर रहा है।
वहीं मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार में जलसा-ए-दस्तारबंदी कार्यक्रम 18 अप्रैल को रात 8:30 बजे से है। यहां हाफिज बने 9 व मौलाना बने 2 छात्रों के सिर पर दस्तार बांध सनद से नवाजा जायेगा। इनकी उम्र करीब 15 से 20 साल के बीच है।
उक्त मदरसों से निकलने वाले 'हाफिज-ए-कुरआन' छात्र मुल्क के विभिन्न हिस्सों में आने वाले पवित्र रमजान में तरावीह की नमाज पढ़ायेंगे और नमाजियों को पूरा कुरआन-ए-पाक सुनायेंगे। वहीं 'मौलाना' बनकर निकलने वाले छात्र मजहबी मसला-मसायल को मुस्लिम आवाम के सामने पेश करेंगे। वहीं 'कारी' बने छात्र कुरआन-ए-पाक बेहतरीन अंदाज में पढ़कर लोगों के दिलों को शांति पहुचायेंगे। छात्रों की उम्र महज 14 से लेकर 23 साल के बीच है।
1. मौलाना बनने वाले छात्र -
सेराज, मो. रेयाजुद्दीन (नेपाल), अमीनुद्दीन (झारखंड), मो. इमरान रजा, मो. जहूर आलम (बिहार), अब्दुल क़य्यूम मिफ्ताही, आरिफ रज़ा, मो. अल्ताफ हुसैन, सेराज अहमद निजामी, करीमुल्लाह, मो. इलियास, फिरोज अहमद, परवेज अहमद (महराजगंज), अमीरुल्लाह (कुशीनगर), मो. इस्हाक खां, मेंहदी हसन, मो. इमरान (गोरखपुर)
2. हाफिज-ए-कुरआन बनने वाले छात्र -
मो. मामून रजा, मो. जीशान (बंगाल), मो. फैजान रजा, मो. अबुलैस, शहजाद आलम, मो. फुरकान, मो. फैजान रजा, मो. तौसीफ, मो. मारुफ रजा, सवाब रजा, आफताब आलम, (बिहार), रहमत अली, गुलाम जिलानी, मुज़म्मिल, गुलाम अशरफ, फुरकान रज़ा, गयासुद्दीन, मो. रिजवान आलम, मो. अमान, मो. अयान, मो. सफीउल्लाह, मो. असलम, मो. जमालुद्दीन (गोरखपुर), अफरोज आलम, मो. आफताब आलम, जावेद अहमद, इकरार अहमद, मो. समीर, मो. जावेद (महराजगंज), अहमद रज़ा, मो. रफीउल्लाह, मो. निजामुद्दीन अंसारी, सरफराज अहमद (देवरिया), दानिश रज़ा, मो. इमरान, मो. मेराज अहमद (कुशीनगर), अमलक़मा गज़ाली (अम्बेडकर नगर)
3. कारी बनने वाले छात्र -
मो. नईमुद्दीन, मो. नबील अहमद, मो. तबारक हुसैन, मो. फैय्याज हुसैन, मो. फजले रहमान (नेपाल), मो. फिरदौस, रियाजुद्दीन अंसारी, गुलाम हस्सानी, मो. इमरान रजा, मो. शकील, मो. अमीरुद्दीन, मो. अखलाक, मो. मुदस्सिर रजा, मो. इमरान रजा, रेहानुल्लाह, मो. दिलकश, मो. अरमान (बिहार), मो. जर्रार (बंगाल), मो. अतहर रजा (छत्तीसगढ़), मो. अब्दुल्लाह अली, मो. अल्ताफ हुसैन (महराजगंज), मो. सलीम रजा, मो. मोईनुद्दीन (गोरखपुर)
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