Friday, 08 November 2019 4.57pm
Nawaz Shearwani
पैगंबर-ए-आज़म के यौमे पैदाइश की खुशी पूरी कायनात मनाती है
-जटेपुर उत्तरी में जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी जलसा
गोरखपुर। मोहल्ला जटेपुर उत्तरी में गुरुवार को जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी जलसा हुआ। जिसमें मुंबई से आये हुए मौलाना सैयद अब्दुल हबीब रज़वी ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि अल्लाह फरमाता है "बेशक तुम्हारे पास अल्लाह की तरफ़ से एक नूर आया और रौशन किताब"। यहां नूर से मुराद पैगंबर-ए-आज़म हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम हैं और किताब से मुराद क़ुरआन-ए-मुक़द्दस है। 'मिलाद' अरबी लफ़्ज है। जिसका अर्थ विलादत और पैदाइश होता है। पैगंबर-ए-आज़म की सीरत, सूरत, किरदार, व्यवहार, बातचीत व अन्य क्रियाकलाप, मेराज, मोज़ज़ों का बयान ही मिलाद-ए-पाक में होता है। पैगंबर-ए-आज़म तमाम पैगंबरों से अफ़ज़ल व आला हैं, बल्कि अल्लाह के बाद आपका ही मर्तबा है।
विशिष्ट वक्ता हाफिज अली अहमद ने कहा कि पैगंबर-ए-आज़म की विलादत (जन्मदिवस) की ख़ुशी मनाना ये सिर्फ इंसान की ही खासियत नहीं है बल्कि तमाम कायनात उनकी विलादत की खुशी मनाती है बल्कि खुद अल्लाह पैगंबर-ए-आज़म का मिलाद बयान फरमाता है। पूरा क़ुरआन ही मेरे आका की शान से भरा हुआ है। अल्लाह ने पैगंबर-ए-आज़म हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की बैअत को अपनी बैअत, आपकी इज्जत को अपनी इज्जत, पैगंबर-ए-आज़म की ख़ुशी को अपनी ख़ुशी, आपकी मोहब्बत को अपनी मोहब्बत, आपकी नाराजगी को अपनी नाराजगी क़रार दिया है।
तिलावत-ए-कुरआन हाफिज अब्दुल लतीफ निज़ामी ने किया। नात शरीफ मौलाना शादाब अहमद रज़वी ने पेश की। अंत में दरुदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन व सलामती की दुआ मांगी गई। संचालन तामीर अजीजी ने किया। जलसे में अली हुसैन, अहमद हुसैन, अब्दुल कादिर, मो. अरशद कादरी, सज्जाद निज़ामी, अरफात सहित तमाम अकीदतमंद शामिल रहे।