Thursday, 05 December 2019 8.34pm
Nawaz Shearwani
पैगंबर-ए-आज़म ने नेक अमल करने की तालीम दी : मुफ्ती जियाउल मुस्तफा -तुर्कमानपुर में 'इस्लाहे मिल्लत' कांफ्रेस -डॉ. मो. आसिम आज़मी को बहरुल उलूम अवार्ड से नवाज़ा गया गोरखपुर। भारत के नायब काजी मुफ्ती जियाउल मुस्तफा कादरी ने कहा कि कलमा, नमाज, रोजा, जकात, हज दीन-ए-इस्लाम के स्तंभ हैं इनकी हिफाजत कीजिए। दीन-ए-इस्लाम की शिक्षा में प्यार, मोहब्बत, भाईचारगी व अदब है। दीन-ए-इस्लाम की सभी शिक्षाएं सिर्फ और सिर्फ इंसानियत की भलाई के लिए हैं। दीन-ए-इस्लाम की मोहब्बत लोगों के दिलों में रचती बसती जा रही और लोग दीन-ए-इस्लाम अपनाते जा रहे हैं। यह बातें मुफ्ती जियाउल मुस्तफा ने मंगलवार को तुर्कमानपुर स्थित सुल्तान खां मस्जिद के सामने गुलामे गरीब नवाज़ कमेटी व तंजीम कारवाने अहले सुन्नत की ओर से आयोजित 'इस्लाहे मिल्लत' कांफ्रेंस में बतौर मुख्य अतिथि कही। उन्होंने कहा कि पैगंबर-ए-आज़म हजरत मोहम्मद साहब सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने पूरी दुनिया को ईमान के साथ दीन-ए-इस्लाम के मुताबिक नेक अमल करने की तालीम दी। पैगंबर-ए-आज़म और आपके सहाबा की पैरवी हमारी पहली जिम्मेदारी है, इसलिए पैगंबर-ए-आज़म की शिक्षाओं पर हम सब अमल करें। पैगंबर-ए-आज़म ने अपने जीवन में ही अपने सच्चे और अच्छे सहाबा की वह पाक जमात तैयार की जिसके हर व्यक्ति ने पैगंबर-ए-आज़म का हर पैगाम पूरी दुनिया में पहुंचाया। आज हर कलमा पढ़ने वाले की यह जिम्मेदारी है कि वह पैगंबर-ए-आज़म के पैगाम-ए-अमन व मोहब्बत को घर-घर पहुंचाए। इस्लामी शरीयत मुसलमान की जान है। हम अपनी जिंदगी को नेक कामों से संवारें और बुराइयों से बचें। सच बोलिए, ईमानदार बनिए। वतन से मोहब्बत कीजिए, वफादर बनिए। विशिष्ट अतिथि घोसी (मऊ) के डॉ. मो. आसिम आज़मी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम इंसानियत की दावत देता है । मुसलमान मजलूम हैं इनकी शराफत और इनकी मासूमियत और इनकी इंसानियत का फायदा गैर उठा कर जुल्म कर रहे हैं। जब तक हम खुद नहीं बदलेंगे तब तक हमारे हालात नहीं बदलेंगे। लिहाजा उस रोशनी के मरकज यानी पैगंबर-ए-आज़म हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की जात से खुद को जोड़ना होगा। सहाबा-ए-किराम वाला दीनी जज्बा बेदार करना होगा। कुरआन-ए-पाक पर मुकम्मल अमल करना होगा। इल्म हासिल करना होगा। बुराईयों से दूरी अख्तियार करनी होगी। दूसरों के दुख दर्द में शरीक होना होगा। सुन्नते रसूल पर चलना होगा। फर्ज की वक्तों पर अदायगी करनी होगी। तब जाकर हमारा मुस्तकबिल रोशन होगा। तंजीम के सदर मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ने कहा कि हर हाल में अल्लाह व रसूल का शुक्र अदा कीजिए। मां-बाप, उस्ताद, उलेमा का अदब कीजिए। इल्म हासिल करने पर जोर दीजिए। बच्चों को दीनी शिक्षा हर हाल में दिए जाने की व्यवस्था कीजिए। दुनियावी तालीम भी दिलाइए। बेटी को बचाइये भी और पढ़ाइये भी। हर हाल में औरतों का सम्मान कीजिए। स्वच्छता को अपनाइए। जमीन को हरा-भरा और पानी की बचत कीजिए। पशु-पक्षियों पर रहम कीजिए। पड़ोसियों, आम इंसानों और मजदूरों का हक अदा कीजिए। यतीमों, बेसहारा, विधवाओं पर रहम कीजिए। गरीबों को खाना खिलाइए, कपड़ा पहनाइए। मरीजों का हालचाल पूछिए। उन्होंने शादियों में होने वाली खुराफातों-फिजूल खर्ची, दहेज मांगने के रिवाज, बैंड-बाजा, खड़े होकर खाने-पीने पर पाबंदी लगाने की अपील भी की। डॉ. मो. आसिम आज़मी को उनके दीनी व कलमी खिदमात पर बहरुल उलूम अवार्ड से नवाज़ा गया। नात शरीफ गुजरात के मौलाना सैयद सलमान रज़ा कादरी व मो. अफरोज ने पेश की। आखिर में सलाते सलाम पढ़कर पूरी दुनिया के मुसलमानों व भारत की सलामती, खुशहाली व तरक्की के लिए दुआ की गई। शीरीनी बांटी गई। अध्यक्षता मुफ्ती अख्तर हुसैन व संचालन मौलाना राशिद रज़ा ने किया। इस मौके पर कांफ्रेंस संयोजक मास्टर मो. कलीम अशरफ खान, अनवार आलम, मो. शुएब अंसारी, तबरेज, तौहीद अहमद, मुनव्वर अहमद, रमजान अली, हाजी अब्दुल्लाह खान, अकरम, निजामुद्दीन, जलालुद्दीन, मो. फैजान, आसिफ सर्राफ, अलाउद्दीन निजामी, मो. असलम, मौलाना मो. असलम रज़वी, मो. अतहर, मो. शहबाज खान, नईम अहमद, तस्लीम अहमद, जाबिर अली सहित तमाम लोग मौजूद रहे।