Friday, 20 October 2017 03:20PM
Mohit Vaishya
ये कैसा रामराज्य?
जगदीशपुर,अमेठी, राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी जनपद के जगदीशपुर ब्लॉक में कई वर्षों से दशहरा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है,
हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदाय का सहयोग इस त्यौहार में रहता है,
विगत कई वर्षों से स्थानीय लोगों के सहयोग से रामलीला का भी आयोजन होता आ रहा है।
कई वर्ष पूर्व जगदीशपुर की रामलीला समिति के पास दशहरा मेला लगवाने के लिए जमीन नही थी इसलिए वहीं के सम्भ्रांत वैश्य परिवार ने अपनी जमीन पर निःशुल्क मेला लगाने की अनुमति दे दी।
जिसपे निरन्तर वैश्य परिवार के सहयोग से दशहरे का मेला लगता आ रहा है।
परन्तु दिन प्रतिदिन वैश्य परिवार भी बढ़ता गया और हमेशा की तरह मंहगाई भी बढ़ती गई,
आज वैश्य परिवार की स्थिति ये है कि जमीन खरीदना तो दूर वे अपना घर भी मुश्किल से चला पा रहे हैं।
जिस परिवार ने जमीन पर मेला लगाने की अनुमति दी थी आज वही जमीन रामलीला समिति हड़पना चाहती है जिसमें भाजपा के कुछ नेताओं के साथ-साथ राज्य मंत्री सुरेश पासी का भी सहयोग है।
आखिर सहयोग हो भी क्यों ना क्योंकि मामला 'राम' से जुड़ा है,
जब प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक राम की बातें करते हैं तो ये मंत्री जी कहाँ पीछे रहने वाले?
इस संदर्भ में पीड़ित वैश्य परिवार के जर्नलिस्ट मोहित वैश्य के कुछ सवाल हैं :-
1- क्या दशहरा का मेला लगवाकर इस परिवार ने गलती की?
यदि ऐसा है तो धर्म के लिए भी कोई किसी की मदद नहीं करेगा।
2- क्या वो जमीन किसी लिखा-पढ़ी के तहत रामलीला समिति को दी गई या बेची गई?
जिस पर आज समिति के लोग मालिकाना हक जता रहे हैं।
3-अगर वो जमीन सरकारी होती और सरकार किसी कारणवश अपनी जमीन वापस लेती तो क्या ये नेता, मंत्री और समिति वाले सरकार को रोक पाते?
4- रामलीला समिति में क्षेत्र के बहुत धनाढ्य लोग हैं जिनके पास बहुत सारी जमीनें हैं क्या वे अपनी जमीनों पर मेला लगवाएंगे?
फिर किसी गरीब परिवार की जमीन पर रामलीला करना कौन सा पुण्य का कार्य है?
5- अगर वाक़ई पुण्य का कार्य करना चाहते हैं तो वैश्य परिवार से जमीन खरीद क्यों नहीं लेते?
जबकि परिवार बाजार भाव से आधी कीमत पर जमीन देने को तैयार है।
6- क्या इस तरह राम के नाम पर किसी गरीब की जमीन छीनना न्यायसंगत है?
इससे राम के प्रति इस परिवार के मन में क्या आदरभाव रह जाएगा?
7- हिन्दू और हिंदुत्व की बात करने वाली भाजपा क्या वैश्य परिवार की पीठ में छुरा नहीं घोंप रही है?
(जगदीशपुर से जर्नलिस्ट मोहित वैश्य की रिपोर्ट)