Monday, 06 November 2017 05:54 PM
admin
सिद्धार्थनगर कार्यालय। लोहिया कला भवन में आयोजित नवोन्मेष नाट्य उत्सव के तीसरे दिन मुम्बई से आए रंगकर्मियों द्वारा नाटक सल्तनत का मंचन किया गया। नाटक ने सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्ति एक पिता की मनोदशा को बेहद उम्दा तरीके से कुरेदा। सल्तनत कहानी है एक ऐसे परिवार की जहाँ दो शादीशुदा बेटों का बाप सेवानिवृत्ति होने के उपरान्त अब घर में ही रहता है। उसकी पत्नी की मृत्यु हो चुकी है और बेटों और बहुओं के पास समय नहीं है कि वो बाप से बात कर सके। बेटों के लिए पिता पूर्णतः अनुपयोगी वस्तु के समान हो चुके हैं। जो थोड़ा बहुत सम्मान बेटे देते भी हैं पिता को वो सिर्फ इसलिए ताकि उनके पेंशन और जी.पीएफ के पैसे उन्हें भी मिल सके। पिता घर में पूर्णतः अकेला पड़ जाता है। उसके पास पैसे तो हैं लेकिन वो उनसे खुशियाँ नहीं खरीद सकता। वो घर आने वाले हर शख्स से बात करना चाहता है लेकिन कोई उसे समय नहीं देता है। अकेलापन उसे मानसिक रोगी बना देता है। स्थिति ये आ जाती है कि वो अपनी मरी हुई पत्नी को जीवित मानकर दिन भर उससे बातें करता रहता है। बेटों के अनेक प्रयास के बावजूद पिता अपनी सल्तनत (संपत्ति) का एक अंश भी उन्हें नहीं देता है। पिता की भूमिका निभा रहे विनय शर्मा ने अपने प्रभावशाली अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया। इस नाटक का निर्देशन प्रतीक पचौरी ने किया।