Saturday, 25 July 2020 2:07
G.A Siddiqui
86 सालो बाद तुर्की की मस्जिद आया सोफिया में नमाज़े जुमा अदा की गई
जिसमे हज़ारों की तादाद में खास ओ आम ने शिरकत की.
लेकिन सबसे ज़्यादा गौर ओ फिक्र करने वाली बात ये थी कि आखिर मस्जिद आया सोफिया के खतीब अल्लामा डॉ अली अरबाज़ ने मिम्बर पर खुतबा पड़ते वक़्त हाथ मे तलवार क्यों रखी ?
(अल्लामा डॉ अली अरबाज़ तुर्किश कैबिनेट में मज़हबी और वक्फ मामलो के मिनिस्टर है।)
खुतबा पड़ते वक़्त हाथ मे तलवार, ये एक उस्मानी रिवायत का हिस्सा है।
जिसे सुल्तान मुहम्मद अल फातेह ने सदियो पहले 1453 में शुरू किया था और उसके पीछे कुछ हिकमत थी।
जब ख़तीब हाथ में तलवार लेकर ख़ुत्बा पड़ता है तो ये इस बात की निशानी है कि ये इलाक़ा तलवार से फ़तह़ किया गया है और ये फ़तह़ की निशानी है...
लेकिन बात यहीं खत्म नही होती है।
इसके अलावा तलवार पकड़ने के भी 3 अलग अलग तरीके और उसमें मुखालीफिन के लिए 3 अलग अलग पैगाम होते थे
वो 3 तरीके ये है
पहला है
दाहिने हाथ मे तलवार पकड़ना
ये मुखालेफीन को पैग़ाम है कि हम जंग के लिए पूरी तरह तैयार हैं.
दूसरा है
बाएं हाथ मे तलवार पकड़ना इसे अमन और सलामती का पैग़ाम समझा जाता है.
तीसरा है
तलवार बायें हाथ में होने के साथ साथ उस पर दाया हाथ रखा हुआ होना
तो ये इस बात का पैग़ाम है कि हमारी तरफ़ से दुश्मन को सलामती और अमन का पैग़ाम है लेकिन अगर दुश्मन जंग करना चाहता हैं तो हम उसके लिए भी तैयार हैं...
आया सोफिया में ख़ुत्बा ए जुमा पढ़ते वक़्त तलवार खतीब के बायें हाथ में है और दाया हाथ तलवार के उपर रखा गया है.
इससे ये पैग़ाम दिया जा रहा है, की हमारी तरफ से मुखालीफिन के लिए अमन और सलामती है लेकिन अगर आप जंग चाहते हैं तो अल्लाह की अता से हम जंग के लिए भी तैयार है।
डॉ आफाक हैदर