Saturday, 12 December 2020 7:02
G.A Siddiqui
जिला कांग्रेस सेवादल के पूर्व जिला संगठन मंत्री ने बांसी धानी मार्ग के मुआवजा आवंटन में प्रशासनिक उदासीनता को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा
मुआवजा आवंटन न कर के विभाग सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना कर रहा है
शैलेंद्र पंडित
बांसी। बांसी-धानी मार्ग के मुआवजा संबंधित विभाग के आला अफसरों की उदासीनता से क्षुब्ध जिला कांग्रेस सेवादल के पूर्व जिला संगठन मंत्री चंद्रप्रकाश द्विवेदी प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अवगत कराया है की उक्त मार्ग लगभग 50 वर्ष पूर्व निर्मित हो चुका है। वर्ष 2005 से नियमित पत्राचार के बावजूद लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड बांसी सिद्धार्थ नगर किसानों को उकसाने का कार्य कर रहा है या फिर उनके धैर्य की परीक्षा ले रहा है वहीं न जाने क्यों मुआवजा आवंटन न करके माननीय सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना अवश्य कर रहा है। विदित हो कि उक्त मार्ग के चौड़ीकरण प्रस्तावित है। उक्त मार्ग की चौड़ीकरण से पूर्व यथा शीघ्र मुआवजा आवंटित कराते हुए उदासीनता बरतने वालों के विरुद्ध उचित कार्यवाही करते हुए कृत कार्यवाही की सूचना भी देने का कष्ट करें। बताते चलें शिकायतकर्ता को 3-2-2014 को पत्रांक 105/40/14 व्दारा अवगत कराया गया था कि बांसी धानी मार्ग के कृषकों के मुआवजा भुगतान के संबंध में निरंतर प्रयास किया जा रहा है कि मुआवजा का भुगतान अति शीघ्र कर दिया जाए। जिसके क्रम में अवगत कराया गया कि इस मार्ग की कुल लंबाई 20 किलोमीटर है। मार्ग के किलोमीटर एक से 1.683 एकड़ भूमि हेतु रुपए 11.79 लाख का प्रस्ताव इस कार्यालय के पत्र संख्या 41 /1सी.--आश्वासन--09दिनांक 6.809 द्वारा संयुक्त सचिव लोक निर्माण विभाग अनुभाग-2 उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ को पूर्व में प्रेषित किया गया है। किलोमीटर 2 से 7.5 सौ में स्थित ग्राम तिवारीपुर, पटखौली, अदिलापुर गोहर सेमरा, लमुही, डडियानानकार, गोनहा ताल एवं किलोमीटर 13 से 20 के मध्य में स्थित ग्राम सकारपार, महुलानी, कोटिया, बेलवा, छितौनी, परोई, कलनाखोर खुर्द, मदुआपार के लगभग 425 गाटों के भू -अर्जन का प्रस्ताव पूर्व में प्रेषित किया गया किंतु उक्त आगणन शासनादेश संख्या 17 18-ए-13-2001-20(124)/2001 राजस्व अनुभाग--13 दिनांक 29-9-2001 के अनुरूप न होने के कारण आपत्तियों से सहित वापस कर दिया गया था। उक्त शासनादेश के प्रावधानों के अनुरूप काश्तकारों से सहमत प्राप्त कर जिलाधिकारी द्वारा गठित समिति दरों का अनुमोदन करा कर उक्त प्रस्ताव पुनः प्रेषित किए जाने के निर्देश प्रदान किए गए थे तदनुसार उपरोक्त लगभग18 गांव के लगभग 425 गटों से संबंधित काश्तकारों से सहमति प्राप्त कर प्रस्ताव/अगणन गो.क्षे. लो. नि. वि. गोरखपुर के पत्र संख्या688/212 गो. क्षे./14 दिनांक 21-1-14 द्वारा अनुसचिव लोक निर्माण विभाग अनुभाग- 2 उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ को पुनः प्रेषित किया जा चुका है। इस प्रकरण की गंभीरता के मद्देनजर उक्त प्रकरण में स्वीकृत जारी होने के ऊपर शुरू मुआवजा के धन राशि का वितरण यथाशीघ्र कर दिया जाएगा। लेकिन आज इतने वर्ष बीत गए। लेकिन उक्त प्रकरण में न तो स्वीकृत होने की सूचना मिली और ना ही मुआवजा राशि का वितरण हो सका। अब देखना है मुख्यमंत्री महोदय द्वारा क्या न्याय किया जाता है।