Wednesday, 14 March 2018 05:01 PM
Sadique Shaikh
सिद्धार्थनगर कार्यालय। सरकार जहां आम जनता को चिकित्सा सुविधा देने के लिए पूरी तरह से कटिबद्ध है। वहीं विभाग सरकार की मंशा को पलीता लगाते हुए आम जनता की भावनाओ को तार तार कर रही है। जिसका जीता जागता उदाहरण तीन दिन पूर्व है जब जिला चिकित्सालय के एसएनसीयू में रात के करीब साढ़े नौ बजे शार्ट सर्किट से आग लग गयी। उस वक्त वार्ड में 7 नौनिहाल भर्ती थे। आग लगते ही वार्ड सहित अस्पताल में अफरा तफरी मच गयी। यह आग तब लगी जब उसमें कार्यरत कर्मचारी आराम फरमा रहे थे। ईश्वर का अनुकम्पा रही कि अस्पताल में भीषण दुर्घटना होते होते बची। और आनन फानन में उसमें भर्ती बच्चों को बीआरडी मेडिकल कालेज के लिए रेफर कर दिया।
मिली जानकारी के अनुसार जिला चिकित्सालय के एसएनसीयू वार्ड में 0 से 1 माह तक के बच्चे आईसीयू में रखे जाते है। उस वक्त इस वार्ड में सात बच्चे भर्ती रहे। और तीन दिन पूर्व 9 बजे रात को शार्ट सर्किट से आग लग गयी। मालूम हो कि अभी मेडिकल कालेज में बच्चों की मौत की घटना पूरी तरह से ठंड नही हुई कि जिला अस्पताल के चिल्ड्रेन आईसीयू में विभाग के लापरवाही से चिल्ड्रेन आईसीयू में आग लग गयी। जिसमें विजय पुत्र रामजन्म निवासी सिसवा बाजार शोहरतगढ़, सकीना पुत्री कुतुबुद्दीन ग्राम चिल्हिया थाना चिल्हिया, कामिनी पुत्री पिन्टू निवासी कटेश्वरी बांसी, सुनीता पुत्री पिन्टू ग्राम बकैनिहा उसका, महिमा पुत्री राकेश पड़रिया शोहरतगढ़, किरन पुत्री उमेश निवासी चौकनिया डुमरियागंज, ममता पुत्री सुरेश विश्वकर्मा निवासी औरहवा ढेबरूआ आदि नवजात शिशु भर्ती रहे। घटना के वक्त दो बच्चों को उनके घर भेज दिया गया। शेष बच्चों को आग लगने के कारण बीआरडी मेडिकल कालेज के लिए रेफर कर दिया गया। किन्तु वही बगल में पीआईसीयू में भर्ती रेहाना पुत्री सरताज निवासी लक्ष्मनपुर उसका बाजार उम्र डेढ़ माह की बच्ची की मौत हो गयी। प्रश्न यह उठता है कि आईसीयू मे ंशार्ट सर्किट से कैसे आग लगी जहां यह जांच का विषय है। इस सम्बन्ध में मौके पर स्टाफ नर्स सरोज पाण्डेय का कहना है कि जो शार्ट सर्किट हुई उसमें कोई भी शिशु घटना का शिकार नही हुआ। वहीं बगल के वार्ड में तैनात डा. शैलेन्द्र कुमार का कहना है कि मेरे यहां जो बच्चे की मौत हुई उसे शार्ट सर्किट की घटना से कोई लेना देना नही है। उसकी स्वाभाविक मौत हुई है। फिलहाल ईश्वर की अनुकम्पा रही कि एक भीषण घटना होते होते टल गयी। किन्तु इसे अस्पताल की लापरवाही ही कहा जायेगा।