Tuesday, 02 June 2020 11:09
G.A Siddiqui
शैलेन्द्र पंडित
समय कॉल ने ऐसा करवट बदला की लोग बिना किसी साधन का इंतजार किए हजारों किलोमीटर दूर पैदल ही जान हथेली पर लेकर चल पड़े
शिक्षण क्षेत्र से जुड़े व युवा समाजसेवी धनंजय मिश्रा की "दैनिक विस्तार" से बातचीत
बांसी।वैश्विक महामारी के इस संकट काल में हर आमजन का दायित्व बनता है कि वह खुद के साथ औरों को भी सुरक्षित रखने सीख दें और यह तभी संभव है जब हम शासन-प्रशासन के आदेशों-निर्देशों का अक्षरशः पालन करें और लोगों को पालन करने के लिए प्रेरित करें। उक्त विचार शिक्षा क्षेत्र से जुड़े व युवा समाजसेवी धनंजय मिश्र ने "दैनिक विस्तार" बातचीत के दौरान व्यक्त करते हुए कहा आजादी के पूर्व ऐसी घटनाएं हुई थीी या फिर 100 वर्षों के बाद यह ऐसा कॉल आया है जिसके चलते आज स्थिति यह है की लोग पैसा कमाने के चक्कर में अपना घर द्वार अपने रिश्तेदार अपनी माटी को कई वर्षों से त्यागे थे लेकिन समय कॉल ने ऐसा करवट बदला की लोग बिना किसी साधन का इंतजार किए हजारों किलोमीटर दूर पैदल ही जान हथेली पर लेकर छोटे बच्चों के साथ चल पड़े, कुछ तो भूखे प्यासे दर-दर की ठोकरें खाते चले जरूर लेकिन अपनी माटी तक पहुंचने के पहले ही मौत के आगोश में समा गए। अब इसमें समय का दोष माने या फिर सरकार का या फिर खुद मनुष्य का, लेकिन सच तो यह है समय कॉल ही ऐसा था की सारी बुद्धि काम करना बंद कर दी। कुल मिलाकर मेरे कहने का आशय है यह है कि आज इस आपदा में हमें मजबूर नहीं बनना बल्कि मजबूत बनना। यह समय ऊपर वाले ने हमें यह सोचने को विवश किया है कि अभी भी वक्त है अपनी माटी और अपनों को छोड़कर कहीं जाने की जरूरत नहीं है हमारे यहां ही कमाने के तमाम संसाधन उपलब्ध है बशर्ते थोड़ा शर्म-हया को छोड़कर यहीं पर रोजी रोटी कमाने में लग जाएं निश्चित है सफलता हमारे कदम चूमेगी वैसे भी सरकार ने अब काम उपलब्ध कराने के लिए कमर कस चुकी है और उसे फलीभूत भी करने का उपक्रम कर रही है, लेकिन कष्ट इस बात का है कि सरकार घोषणा तो करती है लेकिन उसे अमलीजामा पहनाने में नौकरशाह के आगे विवश हो जाती है मेरा सरकार से यही कहना है किसी भी कार्य को अंजाम देने के लिए सख्ती जरूरी है, वहीं आमजन से मेरा यही कहना है कि आप सब भी अब चेत जाएं और अपने अधिकारों को समझे और उसका उपयोग करें। इतना और कहना चाहूंगा यह 2020 का साल अच्छे दिन इंतजार करने का नहीं बल्कि खुद को बचाने का साल है।