Tuesday, 12 May 2020 9:51
G.A Siddiqui
/शैलेन्द्र पण्डित//
बांसी। इतिहास हमेशा दोहराया जाता है, यह सभी जानते हैं लेकिन फिर भी इंसान गलती करता ही जाता है, कुछ ऐसी ही कहानी कोरोना वायरस जैसी महामारी के फैलने की है। ऐसे समय काल में पैसे कमाने के चलते लोग अपना घर परिवार सब भूल जाते हैं और चकाचौंध की दुनिया में जीने की कला सीख लेते हैं लेकिन जब सब कुछ हाथ से निकल जाता है तब सभी को अपना घर परिवार अपना गांव अपने लोग याद आते हैं, ऐसा ही कुछ इस कोरोना महामारी के दौर में शुरू हो गया दूरदराज रह रहे लोग अपने घर परिवार में चाहे जिस हालत में हो पहुंचने की कवायद शुरू कर दिये हैं।
परिणाम स्वरूप आने वाले प्रवासी चाहे सरकारी बस हो या फिर अन्य साधन से हर हाल में अपनी मिट्टी में पहुंचना चाहते हैं आलम तो यह है कुछ प्रवासी ट्रकों में जहां बैठने की जगह ना हो फिर भी बच्चों महिलाओं के साथ आ रहे हैं, रोज सुबह से लेकर देर रात तक इनके आने का सिलसिला चल ही रहा है। ऐसा ही एक वाकया मंगलवार को रोडवेज चौराहे पर देखा गया जहां कई युवक पीठ पर बैग लादे आ रहे थे जिसमें से एक 30 वर्षीय युवक लालू यादव पुत्र शंकर यादव ने धानी रोड का रास्ता पूछा जिस पर जिस पर उससे पूछा गया कि कहां जाना है उसने बताया- जाना तो महुलानी है मगर वहीं के एक पत्रकार सुभाष चंद्र पांडेय धानी रोड पर ही रहते हैं उनसे मिलना है। उसकी दशा देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कितना कष्ट इसके शरीर व मन में भरा है उसे पत्रकार सुभाष चंद पांडेय के घर पहुंचाया गया जहां वह पांडेय जी से मिला और पहले तो खूब रोया और उसने जो आपबीती बताई वह सुनकर वहां उपस्थित हर व्यक्ति की आंखें नम हो गई वह महाराष्ट्र से कई अन्य लोगों के साथ एक ट्रक पर सवार होकर बस्ती तक आया, उसने बताया ट्रक वाले ने उससे बस्ती तक पहुंचाने का बतीस सौ रुपए लिया था, और वह बस्ती से पैदल चलकर बांसी पहुंचा उसके जूते का सोल फट गया था उसने उसे अपनी शर्ट का एक हिस्सा फाड़कर बांधे रखा था उसकी मनोदशा देखने से ही यह प्रतीत हो रहा था कि जब इसकी ये हालत है, तो अन्य जो बच्चों महिलाओं के साथ आ रहे होंगे उनकी क्या दशा रही होगी ? बहराल !! पत्रकार सुभाष चंद्र पांडेय ने उसे भोजन करवाया और उसे आराम करने के लिए कहा। तो वहीं कुछ ऐसे लोग भी मिले जो यही कह रहे थे, हे !!यमराज जी बस घर पहुंचने दो.... सबसे मिल तो लेने दो फिर मुझे ले चलो....! परिवार का मुंह तो देख लूं। इस तरह के अनगिनत वाकये प्रतिदिन देखने को मिल रहे हैैं और प्रवासियों का आने का सिलसिला भी अनवरत चल रहा है, सवाल उठता है इनमें से कितने कोरोना संक्रमित होंगे और कितने नहीं और कितने अन्य को संक्रमित करेंगे या खुद संक्रमित होंगे, यह तो ऊपर वाला ही जानेगा....!! हे ईश्वर अब तू ही सहारा है, जैसा करेगा शायद उसी में भला होगा!!