Monday, 08 October 2018 08:20PM
Chaudhary Salman Nadwi
(✍️ चौधरी सलमान नदवी की क़लम से)
हाल ही में CBI ने नजीब की गुमशुदगी के मामले में 'क्लोज़र रिपोर्ट' लगाने का फ़ैसला किया है, जो कि सारे देश को शर्मसार करने के लिये काफ़ी है।
आख़िर ऐसी क्या लाचारी आ गई देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी के सामने जो 'नजीब' के केस को बंद करने का फ़ैसला कर लिया?
क्या कब CBI जाँच करने में सक्षम नहीं रही?
खोई हुई व्यक्ति को तो साधारण पुलिस भी ढूंढ लाती है फिर CBI आख़िर क्यों और कैसे नाकाम हुई?
CBI को खुल कर क़ुबूल कर लेना चाहिए कि उसने संघ & कम्पनी के दबाव में ये फ़ैसला लिया है।
मेरे हिसाब से केस नहीं CBI को ही बन्द कर देना चाहिए,
क्या फ़ायदा ऐसी एजेंसी पर देशवासियों का अरबों रुपए फूंकने का? जो एक 'बूढ़ी लाचार माँ' को उसके 'खोए लाल' से न मिला सके।
सरकार और CBI दोनों को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।
CBI सिर्फ भ्रष्ट नेताओं को डराने के लिए खेत में खड़े पुतले की तरह हो गई है,
जिसके सत्ता होती है बस वो विपक्ष के भ्रष्टाचारियों को डराने के लिए CBI का मुखौटा लगा लेता है।
धिक्कार है ऐसी एजेंसी पर जो सत्तापक्ष की कठपुतली की तरह काम करती है,
अब तक न्याय ख़ुद धर्म था पर संघ और भाजपा के राज में न्याय का भी धर्म हो गया।
मुसलमानों को न्याय दिलाना ही अन्याय समझा जाने लगा।
भारत की महानता का नारा लगाने वाले संघ और भाजपा के लोग ये भूल गए हैं कि 'कोई राष्ट्र तब तक महान नहीं हो सकता जब तक वहां का अल्पसंख्यक सुरक्षित न हो'।
(ये लेखक के निजी विचार हैं, लेखक ऑल इण्डिया मुस्लिम मूवमेंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं)