Wednesday, 04 December 2019 10:26
G.A Siddiqui
5 दिसम्बर को 3 बजे अम्बेडकर प्रतिमा हज़रतगंज पर संशोधन विधेयक के खिलाफ जनता की एकजुटता
लखनऊ, 4 दिसम्बर । रिहाई मंच कार्यालय पर एक बैठक कर भाजपा सरकार द्वारा कैबिनेट में पारित नागरिकता संशोधन विधेयक को संविधान विरोधी करार दिया. तय किया गया कि देश के सेकुलर ढांचे और मिजाज़ को रौंदने की गरज से पेश इस विधेयक के खिलाफ 5 दिसंबर 2019, बृहस्पतिवार को शाम 3 बजे से अम्बेडकर प्रतिमा हजरतगंज लखनऊ पर एकजुटता का प्रदर्शन होगा.
उक्त बैठक के दौरान विवादित नागरिकता संशोधन अधिनियम 2016 संसद में पेश किए जाने का कड़ा विरोध करते हुए तमाम विपक्षी दलों से अपील की कि वे सुनिश्चित करें कि यह संशोधन विधेयक राज्य सभा में पारित नहीं होने पाए। खबरों के अनुसार केंद्र सरकार 10 दिसम्बर से पहले किसी भी दिन इसे राज्य सभा में पेश कर सकती है। यह संशोधन विधेयक जनता की भावनाओं के विपरीत है और देश के तमाम हिस्सों से इसके खिलाफ आवाज़ उठ रही है। यह संशोधन विधेयक साम्प्रदायिक, भेदभावपूर्ण, असंवैधानिक है और जो देश की अधिसंख्य आबादी को नागरिकता से बेदखल करने की साजिश है। इसके निशाने पर हैं मुसलमान, आदिवासी, महिला, भूमिहीन और मज़दूर। इसके प्रावधानों के अनुसार एनआरसी से बाहर रह गए लोगों को नागरिकता के लिए आवेदन करने से पहले लिखित देना होगा कि वे पाकिस्तान, अफग़ानिस्ता या बांग्लादेश के निवासी थे और वहां प्रताड़ित किए जाने के कारण पलायन करके भारत आ गए थे। इस तरह गरीब, मज़दूर, दलित, आदिवासी जो इस देश के मूल निवासी हैं उनको विधिवत विदेशी शराणार्थी घोषित किया जाएगा उसके बाद नागरिकता प्रदान की जाएगी। यह संशोधन विधेयक न केवल मूल निवासी गरीब जनता के लिए अपमानजनक है बल्कि इस तरह से उन्हें आरक्षण, छात्रवृत्ति आदि कई सुविधाओं और अधिकारों से वंचित करने की साजिश है।
बैठक में वक्ताओं ने आरोप लगाया कि साम्प्रदायिकता के आवरण में यह संशोधन विधेयक वास्तव में देश पर मनुवादी व्यवस्था थोपने का बड़ा षणयंत्र है और इसके खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। यह अभियान केवल सरकार की षणयंत्रकारी चालों के विरुद्ध ही नहीं बल्कि उन विपक्षी दलों के खिलाफ भी होगा जो इस मनुवादी साज़िश में सरकार के साथ खड़े होंगे। रिहाई मंच राज्य सभा में सदस्यता रखने वाले सभी विपक्षी दलों से अपील करता है कि वे विवादित नागरिकता संशोधन विधेयक राज्य सभा में पेश किए जाने के समय डट कर इसका उच्च सदन में विरोध करें और बिना वॉकआउट किए या गैर हाजिर रहे इसे पारित होने से रोकने का अपना संवैधानिक दायित्व निभाएं। बैठक मे जन संगठनों से भी अपील की गई कि वे अपने कार्यक्षेत्र में विवादित विधेयक के खिलाफ जनता में जागरूकता पैदा करें।
उक्त बैठक में रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब, राम कृष्ण, आदियोग, डा. एम डी खान, मुहम्मद शकील कुरैशी, खालिद, नज्मुससाकिब खान, अजय शर्मा, गंगेश, इमरान अहमद, बाके लाल, अयान गाजी, सचेन्द्र यादव, औरंगजेब खान, साजिद खान, गोलू यादव, राजीव यादव, रॉबिन वर्मा, गुफरान सिद्दीकी आदि लोग शामिल रहे.