Tuesday, 28 April 2020 10:35
G.A Siddiqui
आखिर जब गोरखपुर प्रवासी मजदूरों के लिए वेब साईट लांच कर सकता है तो पूर्वांचल विकास बोर्ड और पूर्वांचल विकास निधि क्यों नहीं
आज़मगढ़ 27 अप्रैल 2020। रिहाई मंच ने कहा कि पूर्वांचल के प्रवासी मज़दूर बड़ी संख्या में महानगरों में फंसे हुए हैं। खाने-पीने से लेकर रहने तक का संकट है। एक कमरे में पन्द्रह-पन्द्रह मज़दूर रहने को मजबूर हैं। ऐसे में सोशल डिस्टैंसिंग का पालन सोचना भी उनके साथ हिंसा है। अगर उन्हें महानगरों से निकाला नहीं गया तो बहुत संभव है कि वे इस महामारी का शिकार हो जाएं।
आज़मगढ़ रिहाई मंच प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि देश के विभिन्न महानगरों में रोज़गार के लिए पलायन कर जाने वाले उत्तर प्रदेश के प्रवासी मज़दूरों में पूर्वांचल के मजदूरों की संख्या सबसे अधिक है। विकास की दौड़ में पीछे रह जाने की वजह से यहां रोज़गार के अवसर कम हैं। बड़े उद्योग हैं नहीं और छोटे कुटीर उद्योग सरकारी उपेक्षा से दम तोड़ते जा रहे हैं। खेती-किसानी से छोटे खेतिहरों का पेट भर पाना संभव नहीं है। इसलिए विदेशों और देश में बड़े महानगरों में बड़ी संख्या में मज़दूर अपने परिवार के लिए रोटी कमाने के लिए जाते हैं।
बलिया से रिहाई मंच नेता इमरान अहमद ने कहा कि लॉक डाऊन के कारण जो मज़दूर महानगरों में फंसे हैं उनमें पूर्वांचल के मज़दूर बड़ी संख्या में हैं। गोरखपुर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह जनपद है। वहां के जिलाधिकारी ने गोरखपुर के फंसे हुए प्रवासी मज़दूरों की सहायता के लिए वेबसाइट लांच की है। लेकिन अन्य जनपदों ने ऐसी व्यवस्था भी नहीं की है।
सिद्धार्थनगर से रिहाई मंच नेता शाहरुख अहमद ने कहा कि पूर्वांचल विकास बोर्ड और पूर्वांचल विकास निधि पूर्वांचल में विकास को गति देने के लिए कुछ खास कर पाने में तो नाकाम रही है जिससे मज़दूरों के पलायन में कमी आती। इस संकट की घड़ी में अपने क्षेत्र के प्रवासी मज़दूरों के लिए उसके पास कोई कार्यक्रम नहीं है। उसकी भूमिका कहीं भी नज़र नहीं आती। पूर्वांचल विकास निधि को तत्काल हरकत में आना चाहिए और इस क्षेत्र के प्रवासी मज़दूरों की सुध लेनी चाहिए। गोरखपुर की तरह तत्काल वेबसाइट लांच कर समूचे पूर्वांचल के प्रवासी मज़दूरों के लिए राशन, दवाई उपलब्ध कराने और यथासंभव उनको घरों तक पहुंचाने के लिए अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।