Saturday, 21 January 2017 08:15 PM
Nawaz Shearwani
प्रसाशन ने बिना मान्यता प्राप्त स्कूलों पर कार्रवाई करने के कठोर निर्देश दे रखे हैं. लेकिन बावजूद इसके जनपद में सैकड़ों मानक रहित बगैर मान्यता वाले विद्यालय खुले हुये है. इन बिना मान्यता प्राप्त स्कूल प्रबन्धों संचालकों में शासन प्रशासन का लेसमात्र भी खौफ नहीं है।
परिणाम स्वरूप देश का भविष्य कहे जाने वाले नौनिहालों की शिक्षा अण्डर ग्रेजुएट, अप्रशिक्षितों के हवाले है। इतना ही नही स्कूल प्रबंधन वाले खुद अपने बच्चो को अपने द्वारा खोले गये स्कूलो मे नही भेजते क्योकि शायद उन्हे अपने स्कूल मे अप्रशिक्षितो के द्वारा दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता का अंदाजा है। नियमानुसार अप्रशिक्षित एवं गैर स्नातक शिक्षक-शिक्षिकाओं से पठन पाठन कार्य नहीं कराया जाना चाहिए, तथा विद्यालय संचालन के लिए भी शासन स्तर से मानक निर्धारित है।
बावजूद इसके शिक्षा विभाग के जिम्मेदार पुरानी सुस्त कार्य प्रणाली के चलते मानक विहीन गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय के प्रबन्धकों -संचालकों के विरूद्ध कार्यवाही नहीं की जा रही है। जिससे इनके हौसले बुलन्द है और ये स्कूल संचालक, बच्चों व उनके परिजनों को अंग्रेजी माध्यम व बेहतरीन गुणवत्तापरक शिक्षा का सब्ज बाग , सहित रंग बिरंगी होर्डिंग पोस्टरो को दिखा प्रत्येक स्तर पर शोषण करते देखे जा सकते है। गौरतलब हो कि शत प्रतिशत बगैर मान्यता प्राप्त स्कूलों मे शिक्षा ग्रहण कर रहे नौनिहालों का वास्तविक नामांकन अन्य विद्यालयों में करवाया जाता है। जिससे संरक्षकों को दोहरी फीस का बोझ उठाना पड़ता है।
यह अवैध खेल कुछ मान्यता प्राप्त स्कूलों के संरक्षण से खेला जा रहा है इतना ही नहीं क्षेत्र में संचालित अधिकांश बिना मान्यता प्राप्त विद्यालयों मे न तो ट्रेन्ड शिक्षक शिक्षिकाये है। न ही शासन द्वारा निर्धरित मानक के अनुरूप भवन, शिक्षण कक्ष सहित तमाम अन्य मानक है। कोई एक कमरे मे तो कोई दो कमरो मे तो कही खुद रहने वाले घरो मे ही रंग बिरंगे अग्रेजी माध्यम मे बोर्ड लगा कर अपनी अपनी दुकान चालू कर दी जाती है। लोगों का कहना है कि छोटे बच्चों को ठंूसकर पहले तो वैनों में बैठाया जाता है। फिर छोटे-छोटे कमरों में बैठाया जाता है।
इन कमरों में कुदरती हवा व प्रकाश का अभाव रहता है। फिर शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों की कृपा कहे या संरक्षण में बगैर मान्यता प्राप्त स्कूल भारी-भारी रंग-बिरंगे बोर्ड व गाॅवों से आने वाले भोले भाले ग्रामीणं अभिभावको से एडमीशन के नाम पर मोटी रकम लेने के साथ कोर्स, ड्रेस, जूता ,टाई, बेल्ट , के नाम पर एक अच्छा पैसा वसूल कर खुद को मालामाल कर रहे है।
नगर से लेकर कस्वों तक जिले में ऐसे अनगिनत जगहो पर बगैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों की भरमार देखी जा सकती है। इनमें कई ऐसे भी मान्यता प्राप्त विद्यालय शामिल है ।
जो बिना अपग्रेटिंग के इण्टर तक की कक्षाएं संचालित कर रहे हैं। हर चैराहे पर बड़े -2 फलेक्सी बोर्ड , पोस्टर, बैनर व स्कूल वाहन का ताम झाम दिखाकर अभिभावकों की जेबों पर खुलेआम दिन के उजाले में डांका डाल रहे है। सब कुछ अच्छी तरह जानते हुए भी जिले के जिम्मेदार विभागीय अधिकारी अन्जान बने बैठे है। इसे शिक्षा विभाग की असफलता कहे या नजरअंदाजी के पीछे सुविधा शुल्क का खेल।
शिक्षा विभाग के समक्ष अब एक अहम प्रश्न मुॅह बांये खड़ा है कि आखिर किन कारणों दबावों के चलते बगैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के संचालन पर रोक नहीं लग पा रही हैं। शासन के कड़ी कारवाई व एफआईआर के आदेशों के बावजूद भी बिना मान्यता प्राप्त संचालित स्कूलों के संचालको के विरूद्ध एफआईआर क्यों नहीं लिखाई जा रही है।