Wednesday, 08 March 2017 1:40 pm
Chaudhary Salman Nadwi(चौधरी सलमान नदवी की क़लम से)
एक बार फिर 8 मार्च आ गया भारत के राजनैतिक और गैरराजनैतिक संगठनों को फिर महिलाओं के सशक्तिकरण और अधिकारों की याद आ गई।
लेकिन सवाल ये है कि क्या सिर्फ साल में एक दिन महिला दिवस की शुभकामना देने या महिलाओं के सम्मान में कोई कार्यक्रम कर देने मात्र से महिलाओं का उत्थान या सशक्तिकरण हो सकता है?
बदलते परिवेश में महिलाओं को शोपीस या उपभोग की वस्तु के रूप में ही पेश किया जा रहा है,
छोटे-छोटे विज्ञापन हों, फ़िल्में हों या पोर्न फिल्मों का बाज़ार हो हर जगह नग्नता और अश्लीलता के साथ औरतों को पेश किया जा रहा है।
क्या यही महिलाओं का सम्मान है ?
आज देश की स्थिति कुछ यूं हो चली है कि रामजस कॉलेज में एबीवीपी की गुण्डागर्दी के ख़िलाफ़ जब गुरमेहर कौर नाम की एक लड़की ने अपना बयान जारी किया तो ख़ुद को संस्कृति और नारी अस्मिता के रखवाले कहने वाले संघियों ने भद्दी और अश्लील गालियों की बौछार कर दी,
यहां तक कि विकृत मानसिकता वालों ने बलात्कार की धमकी तक दे डाली।
क्या यही महिलाओं का सम्मान है ?
एक तरफ भाजपा सरकार ‘बेटी बचाने’ का नारा दे रही है वहीं दूसरी ओर भाजपा महिला नेता जूही चौधरी बच्चों की तस्करी में गिरफ्तार की गई हैं।
इस पूरे मामले में कैलाश विजयवर्गीय व रूपा गांगुली का नाम भी आया है,
इसी तरह लड़कियों की तस्करी में आर.एस.एस. की भूमिका भी उजागर हुई है।
संघ और भाजपा जैसे संगठनों द्वारा भड़काए गए दंगों की आग में महिलाओं व बच्चियों के साथ बर्बर बलात्कार व हत्यायें होती रही हैं। ‘नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो’ के 2014 के आंकड़ों को देखें तो 2004 से 2014 के बीच स्त्रियों के साथ बलात्कार के मामलों में 101.5 प्रतिशत, अपहरण के मामले में 231.1 प्रतिशत, दहेज हत्या के मामले में 20.3 प्रतिशत, स्त्रियों पर हमले के मामले में 137.9 प्रतिशत, पति द्वारा क्रूरता के मामले में 114.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।
औरतों की लगभग आधी आबादी ख़ून की कमी की शिकार हैं।
मातृत्व के लिए अनुकूल परिस्थितियों की रैकिंग में भारत दुनिया में 140 वें स्थान पर है।
‘जनसंख्या स्थिरता कोष’ के मुताबिक 10 हजार में से 301 महिलाओं की प्रसव के दौरान मृत्यु होती है।
हर साल घरेलू हिंसा में 8 हजार महिलाओं की मृत्यु होती है।
कुल आबादी में महिलाओं का प्रतिशत 48.5 है लेकिन संसद में औरतों का प्रतिशत सिर्फ 11 है,
जो कि नेपाल और अफगानिस्तान से भी कम है।
(लेखक ऑल इण्डिया मजलिस-ए-इत्तिहादुल मुस्लिमीन (उ०प्र०) के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य हैं)