Saturday, 24 December 2016 07:35 PM
Nawaz Shearwani
-हजरत कंकड़ शाह रहमतुल्लाह अलैह का दो दिवसीय उर्स-ए-पाक मना
-दरगाह पर पेश हुई सरकारी चादर व गागर
- भव्य जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी का हुआ प्रोग्राम
गोरखपुर। गोल्फ ग्राउंड रेलवे आफिस के निकट स्थित दरगाह पर हजरत कंकड़ शाह रहमतुल्लाह अलैह का 56वां सालाना दो दिवसीय अजीमुश्शान उर्स-ए-पाक अकीदत के साथ मनाया गया।
शनिवार की भोर में मजार शरीफ के गुस्ल की रस्म अदा हुई बाद नमाज फज्र कुरआन खानी की गयी। बिछिया रेलवे कालोनी से नूर आलम की तरफ से सरकारी चादर, रामगढ़ताल से रफीक अहमद व छह नम्बर कालोनी से अकरम की जानिब से चादर व गागर का जुलूस निकला। मजार पर चादरपोशी के बाद गुलपोशी हुई। कुल शरीफ की रस्म अदा की गयी, सलातो सलाम पढ़ा गया। लंगर तकसीम हुआ। बड़ी संख्या में अकीदतमंद शामिल रहे।
रात्रि नमाज बाद भव्य जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी कार्यक्रम हुआ।
जिसमें मुख्य अतिथि इस्लामिक विद्वान अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद अलाउद्दीन मिस्बाही ने कहा कि
अल्लाह ने दुनिया को बनाने के बाद सबसे आला दर्जा इंसान को अता किया और इस सिलसिले में उनकी हिदायत व रहनुमाई के लिए अम्बिया का सिलसिला जारी फरमाया। जिसकी आखिरी कड़ी बनकर हमारे नबी-ए-पाक तशरीफ लायें। जिनकी नुबूवत कयामत तक के लिए हैं। उनकी लायी हुई किताब कुरआन इंसानी जिंदगी का इंसाइक्लोपीडिया हैं ताकयामत तक के लिए। नबी के बाद इंसानों की हिदायत के लिए अल्लाह ने नबी का नायब उलेमा व औलिया को बनाया। जिनके जरिए इंसानों की हिदायत का काम हो रहा हैं और ताकयामत तक होता रहेगा। यहीं वजह है कि औलिया की बारगाहें इंसानियत की भलाई के लिए अपने कारनामों की बुनियाद पर बेमिसाल हैं।
उन्होंने इंसानियत का पैगाम देते हुए कहा कि पूरी इंसानियत की भलाई इस्लामी कानून के अंदर हैं। कुरआन दीन व दुनिया का इंसाइक्लोपीडिया हैं। आज विज्ञान व दुनिया जो कुछ कह रही है और जो कुछ कर रही हैं वह सब कुरआन का सदका हैं। अगर विज्ञान की दुनिया कुरआन की रोशनी में तहकीकात करके इतनी आगे जा रही हैं तो मुसलमानों पर लाजिमी हैं कि कुरआन पर मुकम्मल अमल करके आगे बढ़े।
उन्होंने कहा कि सारी दुनिया कुरआन से फायदा हासिल कर रही है, मगर हम कुरआन वाले होकर कुरआन का फैज नहीं पा रहे है इसकी वजह कुरआन से दूरी हैं। मुसलमान अगर कुरआन में गौरो फिक्र करना शुरु कर दें तो सारी समस्याओं का हल मिल जायेगा। कहा कि तमाम समस्यायें जो यूनिवर्सिटियों की ऊंची-ऊंची कुर्सियों पर बैठकर हल नहीं हो पाती वह समस्यायें मदरसे की टूटी चटाईयों पर बैठने वाले उलेमा पल भर में ही हल कर देते हैं।
नात शरीफ हाफिज इम्तियाज व नसीम सलेमपुरी ने पेश की। अध्यक्षता मौलाना बदरुल हसन बरकाती व संचालन हाफिज सदरे आलम निजामी ने किया।
इस मौके पर हाफिज अब्दुल्लाह,
दरगाह सदर सलीम मीनाई, मौलाना शम्सुद्दीन, हाफिज गयासुद्दीन, हाफिज अली अहमद, हाफिज परवेज, हाफिज सेराज, मौलाना अनवारुल हसन, मोहम्मद हसन, मौलाना पीर मोहम्मद आदि मौजूद रहे।