Wednesday, 09 December 2020 7.40pn
Nawaz Shearwani
कुरआन-ए-पाक पूरी इंसानियत के लिए हिदायत : मुफ्ती अख्तर -छोटे काजीपुर व अस्करगंज में जलसा-ए-ग़ौसुलवरा गोरखपुर। हज़रत सैयदना शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां की याद में नौजवान कमेटी की ओर से मंगलवार को गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर के पास जलसा-ए-ग़ौसुलवरा हुआ। मुख्य वक्ता संतकबीरनगर के शहर-ए-काजी मुफ्ती मो. अख्तर हुसैन अलीमी ने कहा कि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से लेकर आखिरी पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम तक जितने भी पैगंबर इस दुनिया में आए, वह सभी इंसानों को तौहीद, एकता और इंसानियत की दावत देने के लिए आए। आखिरी पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पूरी इंसानियत के लिए रहमत बनकर आए। आपने इंसानों को उसके हकीकी मालिक अल्लाह से मिलाया। पैगंबर-ए-आज़म पर नाज़िल होने वाली किताब कुरआन-ए-पाक भी एक विशेष क़ौम व मिल्लत के लिए नहीं बल्कि उसमें सभी इंसानों के लिए अल्लाह का संदेश व हिदायत है। सदारत करते हुए पीरे तरीकत अल्लामा मो. हबीबुर्रहमान रज़वी ने कहा कि क़ुरआन-ए-पाक मार्गदर्शन और प्रशिक्षण की एक पूर्ण किताब है ताकि हम अल्लाह की महानता और उसकी शक्ति से अवगत हो सकें। क़ुरआन-ए-पाक में इल्म और आलिम (ज्ञान और ज्ञानी) को अत्यधिक महत्व दिया गया है क्योंकि यह इल्म (ज्ञान) ही है जो इंसान को अज्ञानता के अंधकार से बाहर निकालता है और मानवता का पराकाष्ठता की ओर मार्गदर्शन करता है। ज्ञान के द्वारा ही इंसान क़ुरआन-ए-पाक के आशय और पैगंबर-ए-आज़म की शिक्षाओं से परिचित होता है। वहीं मोहल्ला अस्करगंज के जलसा-ए-ग़ौसुलवरा में मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी ने कहा कि मुसलमान अगर तरक्की चाहते हैं तो नमाज़, हज, रोजा व जकात की पाबंदी करें। अल्लाह और पैगंबर-ए-आज़म की तालीमात पर पूरी तरह से अमल करें। मौलाना कमरुद्दीन ने कहा कि अल्लाह और पैगंबर-ए-आज़म के जिक्र से दिलों को रोशन कीजिए। शरीयत की खिलाफ कोई काम न कीजिए। मुसलमानों को चाहिए की पैगंबर-ए-आज़म की सुन्नतों को अमली तौर पर जिंदगी में अपनाएं। मुसलमान सामाजिक कुरीतियों से दूर रहें। निकाह शरीयत के हिसाब से करें। फिजूल खर्ची बिल्कुल न करें। औलाद को चाहिए कि मां-बाप की फरमाबरदारी कर उन्हें राजी करें। संचालन मौलाना दिलशाद अहमद फैजी ने किया। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में एकता, भाईचारे व तरक्की की दुआ मांगी गई। अकीदतमंदों में शीरीनी बंटी। जलसे में मौलाना जियाउल मुस्तफा निज़ामी, कारी शमसुद्दीन, हसन अफजल खान ,सिमू,अफजाल खान नूर अहमद नूर, कारी अंसारुल हक, रईस अनवर, उजैर अहमद, शोएब, मोहम्मद फैज़ान, राहिल, अरमान, शीबू, अज्जू, मुफ्ती मो. शमीम, मौलाना उस्मान बरकाती, नूर मोहम्मद दानिश, परवेज, अब्दुल कादिर, मो. नाज़िम, सैयद शहाबुद्दीन, अली हसन आदि मौजूद रहे।
हसन अफजल खान सिमू