Monday, 21 December 2020 6.18pm
Nawaz Shearwani
मुसलमान अपनी जान से ज्यादा पैगंबर-ए-आज़म से मोहब्बत करते हैं : नायब काजी
-इल्म अल्लाह का दिया हुआ अनमोल ख़ज़ाना : मुफ्ती अख्तर
-शाहिदाबाद, हुमायूंपुर उत्तरी में जलसा-ए-निज़ामी
गोरखपुर। हज़रत सूफी मुफ्ती मो. निज़ामुद्दीन कादरी अलैहिर्रहमां की याद में अक्शा मस्जिद शाहिदाबाद, हुमायूंपुर उत्तरी में जलसा-ए-निज़ामी हुआ। संचलान हाफिज अज़ीम अहमद नूरी ने किया।
मुख्य अतिथि मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी (मुफ्ती-ए-गोरखपुर) ने कहा कि इल्म अल्लाह का दिया वह अनमोल ख़ज़ाना है, जो बांटने से कभी कम नहीं होता, बल्कि बढ़ता है। आज के नौजवानों को अपने दीन और ईमान की मुकम्मल जानकारी रखनी चाहिए। उलेमा व बुजुर्गो का दायित्व है कि वह नौजवानों को दीन-ए-इस्लाम के प्रति जागरूक बनाएं और नौजवान दीन ईमान को अपने जिंदगी में अमल में लाएं। दीन-ए-इस्लाम की रोशनी उन्हें अपने मंजिल के रास्ते से कभी भटकने नहीं देगी। पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का रास्ता अपनाने का मतलब है अल्लाह के रास्ते पर चलना। पैगंबर-ए-आज़म ने फरमाया है कि रहम दिली ईमान की निशानी है। सफाई, तालीम और गरीब बेसहारा लोगों की मदद करने की हिदायत पैगंबर-ए-आज़म ने ही फरमार्इ।
सदारत करते हुए मुफ्ती मो. अज़हर शम्सी (नायब काजी) ने कहा कि मुसलमान अपनी जान से ज्यादा पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से मोहब्बत करते हैं। मुसलमानों को पैगंबर-ए-आज़म की सुन्नत पर अमल करने की जरूरत है। पैगंबर-ए-आज़म ने ही इंसानियत, अख़लाक़, तालीम और साफ सुथरा लिबास पहनने की ताकीद फरमाई। किसी का हक न मारने और मरीजों की तीमारदारी करने, भूखों को खाना खिलाने और खिदमत-ए-खल्क को सबसे ज्यादा बेहतर काम करार दिया।
मस्जिद के पेश इमाम मौलाना तफज्जुल हुसैन रज़वी ने कहा कि पैगंबर-ए-आज़म से पूछा गया कि सबसे अच्छा अमल क्या है तो आपने फरमाया कि भूखों को खाना खिलाना। यह इंसानियत की सबसे ज्यादा जरूरत है। यदि तुम अल्लाह से प्रेम करते हो तो उसकी सृष्टि से प्रेम करो। अल्लाह उससे मोहब्बत करता है जो उसके बन्दों के साथ भलाई करता है। जो प्राणियों पर रहम करता है, अल्लाह उस पर रहम करता है। जो व्यक्ति किसी व्यक्ति की एक इंच भूमि भी गलत तरीके से लेगा वह क़यामत के दिन सात तह तक ज़मीन में धंसा दिया जाएगा।
जलसे का आगाज तिलावत-ए-कुरआन से हुआ। नात-ए-पाक पेश की गई। अंत में सलातो सलाम पढ़कर खैर व बरकत की दुआ मांगी गई। जलसे में मौलाना इम्तियाज अहमद, मौलाना शादाब अहमद रज़वी, मौलाना शम्सुद्दीन, कारी आरिफ रज़ा, कारी आबिद अली, हाफिज अली अहमद, बरकत हुसैन, मो. मुर्तुजा, मोहर्रम अली, हैदर अली, बब्लू, मो. जलाल, सनी, इम्तियाज अहमद, तनवीर अहमद, जलालुद्दीन, मो. हमीद, मो. इरशाद, कमरुज़्ज़मा कादरी, अली आदि मौजूद रहे।